दिल का कमज़ोर | Dil ka Kamzor
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.84 MB
कुल पष्ठ :
256
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about कोंस्तांतिन फेबिन - Konstanteen Febin
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छोटा भाई जिसकी स्कूल की फीस भी इसी रकम मे से दी जाती हैं।
तो ऐसे गुज़ारा करते हैं ये लोग! ये तो हम-तुम ही रईस है! कभी-
कभी , किसी अच्छे साल मे मेरी आमदनी तो सात सौ तक पहुच जाती
है।”
“सुनो तो बास्या , तुम मुझे माफ कर देता , भगवान की कसम ,
मैं तो बस, यो ही कहता हू, मैं सिर्फ यह सोच रहा है कि कहीं कुछ
गड़बड़ न हो जाये - तुम किन सात सौ रूवलों की बात कर रहे हो?
सिर्फ तीन सौ ही तो.”
तीन सौ. और यूलिजआन मास्ताकोविव ? उसे भूल गये *”
“यूलिआन मास्ताकोदिच ' लेकिन भैया , यह तो भरोसे का काम
नहीं है, यह तो वेतन के उन तीन सौ रूवलों के समान नहीं है जहा
हर रूवल पत्रके दोस्त की तरह है। यूलिआन मास्ताकोविच बेशक बड़ा
आदमी है, मैं उसकी इज्जत करता हू, उसे समभकता हु, यो ही तो
इतना ऊचा ओहदा नहीं है उसका। कसम भगवान की , मैं तो उसे
प्यार भी करता हू, क्योकि वह तुम्हे प्यार करता है और तुम्हे काम
के पैसे देता है , जबकि उसका ऐसा करना जरूरी नही था , वह अपने लिये
किसी क्लर्क की निपुक्रति करवा सकता था -तुम सहमत हो न मेरी
बात से वास्या... इतना ही नहीं -मै कोई बेसिर-पैर की बाते नहीं
कर रहा हु। में यह कह सकता हु कि सारे पीर्टर्सवर्ग में किंसी को भी
तुम्हारे जैसी सुन्दर लिखावट नहीं है, मैं यह मानता हू,” अर्कादी
इवानोविच मे बडे उत्साह से कहा , ” लेकिन भगवान न करे! अगर
ऐसा हो जाये कि तुम उसकी नहर से गिर जाओ , वह तुमसे नाराज
हो जाये , उसके यहा काम न रहे या बह किसी दूसरे को यह काम दे
दे-कुछ भी तो हो सकता है' यूलिआन मास्ताकोविच आज है,
कल नहीं है, वास्या.. ”
* सुनो अर्काशा , यो तो हम पर इसी वक्त यह छत भी गिर सकती
हा, हा. मैं तो यो ही अपने ख्याल ज़ाहिर कर रहा था
नहीं , तुम मेरी बात नस
मुझसे नाता तोड़ ही नहीं
ध्यान से सुन लो। मैं तो उसके
वह इतना दथालु व्यक्ति है,
के पचास रूवल दिये हैं!”
बी तन से, पूर करती
उसने_ तो« आज ही मजे
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