हिंदी विश्वकोश | Hindi Vishvkosh

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Hindi Vishvkosh by नगेन्द्र नाथ वाशु - Nagendra Nath Vashu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दिचडा-- दिडिस्व श् दूर वरना या इधर उघरकों दात कहना डोउमटठ । हे दिज्ड़ी ( दि ० पु० ) दोवदा देखो | दिचरी ( अ० पुर ) मुस्लगानो सन्‌ या समत जो मु ग्रे साहंयके मक्क से मदीने भागनेकी तारीस ( हु जुलाई सन ६९२ ई० सचान्‌ घिकम सम्वस्‌ ६७६ श्रावण शु् देका साथकाल ) से भरा दै। दिनरी शब्दंका मूल मा मापा दैं। मदर्मद्‌ सबॉर उनके दिव्यॉका सागनां हो प्रधानत। दिज्रो कद उाता है। मइम्मद दुखे । पिपश्षीक भत्याचारसे छुरकॉंरा पानंक स्पे सदस्मर पर दिये के साथ दाघस देशर्म जो माग गये चढो प्रथम दिचरों हैं। ।ाइस्मदूक इस पढनों बारके भोगनिसे दिचरी अद्द जासम नहीं हुसा दै । परतु मझासे मदीना में उनशा दूसरी वाश्क पलायन कालसे हो दिज्ञततो सर्द प्रचलित हुआ ई | खरोफा उपरने पिडानाकी सम्मतिसे यड़ दिनरा सन रिपर क्या था | दिजरी सनका चर्ष शुद्ध चा दे यहा है । इसको प्रत्येक मास चटदर्शन ( शुद्ध द्वितीया)से आारमम होता है और दूसरे चर्टद्शन तक माना ज्ञाता दे। दर पक तारीख सा्यैकलसें सारम दो कर दुसरे दिन सॉय काल तर मानो ज्ञाती है। इस समके वारद महदीनाके / नाम इस पार हैं श श घुदरम दिन स्पस्या हक २ सफर दर २६. दरवी उठ बाइम्ठ न देश | ४ रघी इश्सानी मी २६ ५ चमादि उल शस्थल कर - ः ६ जमादि चर झांलिंए ही २४ ३ दननव ० ८ शॉदान श श्६ । ६ रप्रनान न है हब नम्दाज हर न ११ शिवा ि दस ) १ जिस हित की कि. सबर्सर देगा हिवला-मेदूनापुर जिरेका पुर समुददीरवर्तीं सूसाग | यद मूमाग रुपनाशायणक मुददानेस पश्चिम हुपरी था मागीर्था-हार तथा उत्तम बालिश्यर विलेवा सोमा तक | भठों भुध्ध 8 अशा० २१ ३६ से ०२ ११६ उ० तथा देशा० ८5. २७से ट८ हू प्रप पू०्के सध्य विस्तुत है। सूपस्मिण १०१४ चगमोल है। ल्यणको व्यवसाय सयसे रद लास कर नेक पहुरे यहा उपणक्षा नोरों कारवार चरता था । ममुदके खारे जलकों उवाठ कर यदद लघण तैयार शियों ज्ञाना था|. सोपरपुलवणको प्रतियोगितास यददाका बारोदार बन्द दो गया ।. देशावलों विद्रतिप्रस्थ्ि यह स्चान दिल्लल नामसे चर्णित हैं। दिज्ञाज् ( झ० पुर) १ अववके एक मागशा नाम । इसमें मक्का मौर मदाना नामक नगर हैं । २ फारसो सड्रौत वें १० मुशमोामेंसे पक 1 दिचाव ( स० पुर) १ परदा | न रखा शाम । दिल ( स ० पुर ) दिनन्त द या । दिज्ञल (मा० पुर) पक प्रशारका पेड समुदफछ इसे मदद राम पर्यालु करिद्रूमें तोरेगणगिल उत्व लें फिज्ोली बम्बर्म समुदरफाद मी परेल कहने हैं। इसका गुण-ण कड उप्ण पवित्र भू घातामय मौर नाना प्रइचारादि दोपनाणक 1. माधप्रशाशर मतसे यद गन्ये तकी तरह गुणयाखा सर विपराशक हैं । दिज्ञे (ब० पु० ) कसी शब्द याये हुप मसराव माता सदित कदना 1 दिन्न ( य० पुर) जुदपू पियोग । दिज्लीर ( स ० पुर). इम्तिपादयं्घारज्ू था खट्टर द्ाधीक पैरम वॉँघनेकों रस्सी या ज ज्ञोर 1 दिडिस्ब (स ० पुर) पर प्रसिद्ध दाझल 1 भदाभारतमें इसका सिपिप थे लिधा द--पाएडयगण ज्तुयूद्से माप कर नव घन ने गये तब एक रॉतिकों थे सभी सा रहे थे । केचल मीम जगे रद कर उन सपोाशी रखा करते थे । इसक पास हा पड शाल पक्ष पर दिडिस्ब थीर उसकी बदन दिडिस्दा राशस रदतो थी । दिडिसे बहुत दिपकि दाद सजुर्धका दाध्द पा कर सपने दहनसे उसे दुष्ध आ्ानंकहदा । डिंडिमदाने वा जा वर देखा कि युचिछिरादि सो रदें हैं बयर भाम जगा दै। डिडिया मामकी भनिर्ध बमनोप फाम्ति देख कर कामातुर हो गई 1. घड़े अत्यस्त सुन्दर रमोवा सप घारण कर सीमस पास गई और ठत से वोलो दस यनमें दिडिस् सामक पक बत्यत फूड




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