भारतीय चित्रकला | Bharatiya Chitrakala
श्रेणी : भारत / India
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.84 MB
कुल पष्ठ :
141
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about नानालाल चमनलाल मेहता - Nanalal Chamanlal Mehta
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)द भारतीय चित्रकछा
श्र पक्षियों से भरा हृ्मा, पवतों को उलुंग शिसरों 'और नेक वृद्चों से
सुशोमित, निर्मारों को जल विन्दुओं से मरते हुए, वनों को नाना प्रकार के घृक्त,
विहंग 'और पशुओं सदिति, पानी को नेक मत्स्य, फच्छप 'छादि जलचरों
से भरा हुछा, 'बर नगरों को 'अनेक सुन्दर राजमार्ग 'ौर उद्यानों से रमणीय
घनाना चाहिए 1
शऋलु-चिन्न बनाने की भी नियमावली दी गई है--
कि “दर्शवेत्सरजस्प॑ च दाय्याँ कर्णोत्करायृताम, ॥
सदूवूत्तमानवप्रायाँ दू्टिं घुप्व्यास्प्रदू्येत् ॥ ७२ ॥
ज्ञाणिनो छुधतप्तानामादित्येन निद्शनस ॥
घूसिवसन्तने: फुल्ठे; फोक्ठिमघुपोत्कटै: ॥ ७३ ॥
अहृष्टनरनारीक वसन्तें थे. प्रदर्शयेतू ॥
झान्ते: वार्य नरगाप्म॑ भगैश्दायागतिस्तथा ॥ ७४ ॥
मदिषै: पहमलिनेस्तथा शुप्कजठाशयम ॥
चिंह्रदुमसंठीनै: ... सिंदब्याधरगुदागतै: ॥ ७५ ॥
सोयनग्रघनेयुक्त सेन्द्रचापविभ्रूपण: ॥॥
विदयुद्धियोतनैयुक्ता . प्रायूप॑ दर्शयेत्तता ॥ ७६ ॥ न
सफलदुमसंयुक्तां पकसस्याँ. चसुन्धराम, ॥
सहसपझसलियां शरद तु तथा लिखेतू ॥ ७७ ॥
सवाप्पसलिलस्थान॑ तथा टूनवसुन्घरमू ॥
सनीहारदिगन्त॑ च हेमन्त॑ दर्शवेद्बुघ: ॥ ७८ ॥
हश्वायसमातडं दीतातंजनसंकुलम, ॥
दिदिरं तु लिखेद्विद्वान्द्मिच्टन्नदिगन्तरमु ॥ ७९ ॥
घ्रक्षाणां पुच्पफलत: प्राणिनाँ झद्तस्तथा ॥
चत्वूनीं दर्शन कार्य छोकान्ददद्वा नराधिप ॥ ९० ॥
अध्याय 8२
इसी भाँति संध्या और उपा के चित्र-विधान के भी उपयुक्त नियम
दिये गए हैं |
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