मूल और हिन्दी अनुवाद | Mool Or Hindi Anuvad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रययोधध्याणा ॥ ९९ छत बुगस्‌ ।. तस्य तावच्छती सन्धया सन्यांशि्र तथाविध ॥ ६६.1 इतरेघु सलस्वेघु ससन््यांशेष्ठ से लिप्। सकापायिस वर्सन्त सचखाणि शर्तानि च ॥ ७० ॥ यदैतत परिलसद्रयातसादावेव चतुरयूगम्‌ । रुतद्वादश- साइसर देवानां युगसुच्यते ॥ ७९ ॥ देंविकाप! युगावात्तु सक्स परि- सद्नग्रया । न्नाह्ममेकसछ्ज्ञेबं तावती रातब्रिशेव च ॥ ७३॥ तईं युशसह- सान्त न्रात्मं पुण्यसक्षविडु । शातिर तावतीमेव तेएक्ोरावविदों जना। ॥७३॥ तस्य॒ सोइच्निंशस्यान्ते प्रसु्त। प्रतिबुध्यति। प्रतिबुह्झझ् स्टजति सन) सलदलदालकस ॥ 9४ ॥ सन! स्टडि' पविक्ञारते चोद्यसानं सिस्ट्षया । च्याकाशं जायते तस्मातु तस्य शब्दशुण विद ॥ ७४ ॥ व्याकाशात तु विद्युत जा न थी ण गण आवरण ला उनकी रात डै ॥ ४9 ॥ ब्रस्साके दिन-शात, खद्य-ब्ेता य्रादि युरसोंका जो की कि जी 3 जा हनन, हर परिसाण डै, उसे संचेपर्में सुनिशे। ८ ॥ देव परिसाणस चार इजाश चघका ४ का» प्र सद्यघुग छोता है. उस युगवे प्क्चे उतने हो सौ (४००) व्ेकी चोर यन्तर्थे चार खां बंका लरन््यां उनको खन्थ्या चोर सन्य शा परिसाण णक सका जार तथा रक्त रफ था दाइके वास पोजाता है । आर्थात सीग अजार वर्षेणा सेसायुम उसकी तोन सो घ्ेकी खन्या सौर तीन सो वघका सन्व्याश कोता है। दो अजार व्षेका दापर, उसकी दो खाँ वर्षकी सन्ध्या च्मौर दो सौ वर्षा सन्प्याँश है ॥७० न झ साझे लसपर कछाएर के च्तर्चशों सें नासिक गज दब प्ररिसारसि बारह कार चम सचुष्योंक चतुयुआओोसें दैवतास्मोंका रुक य निज कब स् « कि रिगणा' न सा यु युग 'दोत है ॥ ७१ ॥ इसहो सांति देव प्रश्खिएणस सका जार युणमें बछाका रुक दिन कोता है य्यौर इसको परिसाणस उनकी रुक रात '्ोती है ॥ ७२॥ रेंव परियाणक सप्सयुमवी शाप ब्नस्ाका जो पषि दिन छोता दहै व्योर उतने छो समय तक जो उनकी राधिका परिसालण दे इस दिन रासके पर्सिएणको जो लोग जानते हैं, थथाये स्तर गासवेत्ता कचति हैं ॥ ७३॥ ब्रप्मा पूर्वोत्ता राधि बीतने पर जोक जागते दर | ही हु थी.




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