रासमाला | Rasmala

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : रासमाला - Rasmala

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about गोपालनारायण बहुरा - Gopalnarayan Bahura

Add Infomation AboutGopalnarayan Bahura

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( दर ) लिलर ाया और वह गुजरात तथा राजस्थान में प्रचलित कितनी दी लोककथाओं का नायक बन गया । (१) लड्ठ श्वर की श्रणतिभन्ञ में दृढन्रत जनकजा के चरणयुग्म का अनुकरण करते हुए ही बीररसणी सोरठी राणक देवड़ी ने शुजेरेश्वर जयसिंद के स्वेस्वापेण-पुरस्सर 'नुनय को ठुकरा कर पति का अनुगमन किया । ऐसे दी उदात्त चरित्रों से भारतीय कथानकों की शतसाइदस्त्री ओत-प्रोत है. । सिद्धराज जयसिंदद, छुमारपाल, भीमदेव द्वितीय शोर मत्रिचर वस्तुपाल तेजपाल के व्यक्तित्व ओर चरित्र थी शुजरात की ऐतिहासिक चरित्रसाला के परम समुज्ज्यल रत्न हैं. जिनकी शाशा से एतद्द शीय गर्वोन्‍्नत गोरवगिरि सतत भासमान है. । विशुद्ध ऐतिहासिक तथ्यों के 'तिरिक्त इनसे सम्बद्ध साहित्यिक एव लोक कृतियों मे से चित्ताकपेक प्रेरक कथाओं को स्वय फावंस साइव, गुजराती अनुवादक 'ौर इन पक्तियों के लेखक ने प्रस्तुत पुस्तक मे यथावसर उक्त प्रकरणों में समावेशित करने का प्रयत्त किया है. कि जिससे पाठक का सन ऊचब न जाय । तेरहवें प्रकरण मे मूल लेखक ने भारतीय सस्कृति फ्ने जो तत्का- लीन चित्र झ कित किए हैं. वे सद्दज रमणीय हैं. । दैवदुर्विलास से परास्त और त्रस्त होकर बेठ न रद्दने वाले साहसेकप्रिय पुनर्निमाणुरत भारतीय मानव के प्रति विदेशी लेखक ने जो श्रद्धा-भावना व्यक्त की है. वह वास्तव में हमारे लिये गोरव की वस्तु है. । इसके 'तिरिक्त भी (१) लगदेव के विषय मैं ऐतिहासिक जानकारी के लिए; देखिए; श्री सादूल राजस्थानी रिसचें इंस्टीस्व,ट से प्रकाशित राजस्थान भारती के भाग ४ झक '४में डॉ० दशरथ शर्मा का लेख “त्रिविघवीर जगद व?




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now