दक्खिनी हिंदी - काव्यधारा | Dakkhini Hindi-kavya Dhara
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13.93 MB
कुल पष्ठ :
362
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वाह मोराँ जी प्र जवाव--ईमानकी जीव कुरान। ईमानकी जड़ तोवा । ईमानकी डाल्यां सो बंदगी । ईमानकी वात परहेजगारी । ईमानका तुख्म सो इल्म । ईमानका पोस्त सो दर्म । ईमानका वतन सो मोमिन का दिल है । - दाहपा. 8२. शाह मीराँ जी (म० १४९६) ख्वाजा बंदानेवाज के द्वितीय उत्तराधिकारी (खलीफा ) ख्वाजा कमाछुद्दीन बयाबानी के शिष्य शाह मीरां जी भी दक्खिन के बड़े संतों में हूं । इन्हें दाम्शुल-उद्शाक (प्रेमियों का सूर्य भक्त-सूय ) कहा जाता है। वह कोरे भक्त ही नहीं बल्कि अच्छे विद्वान् भी थे । इन्होंने मदीना मे बारह वर्ष बिताये थे जहाँ से लौटने पर बयाबानी के शिष्य हो बीजापुर के बाहर रहने लगे। १४९६ (९०५ हि०) में मृत्यु के बाद वीजापुर के पास शाहपुर में इनकी समाधि बनाई गई जहाँ हर साल उसे लगता है। इनकी कुछ पुस्तकें हू-- . खुदनामा (पद्य . खुशनन्ज (पद्य . राहादतुल-हकीकत (पद्य ) . लाह सर्गूबुल-कुछुब (गद्य ) ५. सबरस (गद्य) लए ६. ० इनके एक दताव्दी बाद वजही ने अपना गद्य-ग्रंथ सबरस लिखा था । मीराँ जी के गद्य का नमूना देखिये । -- जो कोई आशिक कं इस सात चीजते मना कर खुदायताले उसे दुनिया में सों फना करे । खूबसूरत देख राग सुन खुश्बूई खुशकर केफ खा बेपर्वा च और शेर पर खुदा कं सौन याद कर । मुहब्बत सों बंधा अपने काम में सदागूल रह । किससों नको झगड । यहां आराम या काम यां हाल यां वसाल यां यो खसरे बालें। जो कुछ तूं देखेगा जो सुनेंगा सो सब ददं-सर है । मुशाहिदी मुराकबे में परखत्या सर तर मे तू रहेगा । इस जमाने में किसक् करफे-करामात हुआ जो तुझे होयेगा यो जो कीमिया करेगा धदा नहीं होता और हुआ च का कर दिलपर आता । सीधे बात पकर घर कूं भा । तूं कूँ जवान में काई कं जाता । अव्वल तुझे जो कोई सिखलाता है उसे पुछ- तूं मुझे सिखलाता सो तुझ पर खुला है। १. पइचात्ताप अपराध-क्षमापन २. भक्ति सेवा ३. संयस ४. बीज ४. ज्ञान ६. लज्जा ७ श्रद्धाल भक्त । उर्दू दाहपारे प० ३२११ ८. महासहिम भगवान ९. से १०. नष्ट ११. पद्य १२. बढ़ा १३. लगा व्यस्त १४. नहीं १४. यहाँ १६. मिलन १७. झगड़े हानि १८. दिर की पीड़ा १९. साक्षात्कार समाधि २०. प्रकटन सिद्धि २१. रसायन पारस २२. तुमको २३. क्यों ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...