आरोग्य शिक्षा | Arogya Shiksha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भाग है. (१९) “बडे बेर” ( वागीर्वेर ) शीतल हैं भारी हैं तरहें इनमें मीठे चीयेवद्धक खट्टे वीर्यको क्षति करते ओर कठेजा उचादतहें +. “ककघ झाड़ी चर शीतल तर वात पित्त नाशक हैं सूखे बेर हलके तृषा दाह शामक तथा भेदक हैं । जननी ( सखे झाडी- “बेरॉका छिलका ) श्रम दाह और रक्तविकारको दूर करता है । “करोंदे” कच्चे खट्टे गरम भारी ( सकील ) रोचक हैं और कफनाशक हैं । पके करोंदे मीठे गोचक हैं शीतल रूक्ष और माही ( का- बिज ) होति हैं । “पियाल” चिरोंजीका फल तुरशी लिये मीठा दोताहे गरम हे तरदे वडूफनाशक हे । 'चिरोंजी पियालके फलकी गुठली होतीहे यदद गरम दे तर ज्े पुप्ठ हु चाजीकएण दे खॉसीवालेकों अहित है । *'कमछगंडे” ताज शीतल हैं स्निध हैं ( कोई रुक कहतेंहें ) बलफारी गरिछ काबिज तथा गर्भजनकह्ें। - *'सिंघाडे” शीतल तर गरिछ वीयंवद्धंक आदी (काबिज) कफकारक और फपित्तशामक हैं । *'महुबेका फूल” सूखाइआ यहुत खातेहें यह मीठा शीतल ध्षतक्षय और रक्तदोप नाशक हू । *फालसे” तुरशी लिये मीठे दोति हें शीतल हैं रुक्ष हैं हृद्य हैं पित्त और दादशामक हैं । *'सददतत” गरम हैं तर दें कंठरोगोंमें हितकारी हैं । *'कैथका फछ ( कपित्थ ) खट्टा होताहे शीतल हे रुक्ष है आही दे रोचक है भूननेसे इसकी चटनी खब बनती है । 'खिरनी” ( राजादन ) शीतल हैं तर हैं वढलवद्क हैं दाह तृपा क्षय सच्छी ख्रम इन्हें दूर करतीदें ।




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