ईश्वर | Ishwar

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Ishwar by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जै ( १३ ) का उत्पादन बढ़ जाता है तो उसका मुल्य पट जाता है। मुह्य घट जाने ', के फारण तर्वमाधारण शपनी श्रावश्यकताग्ों की पुषति सरलतापूवक कर), सकता है। इस प्रकार सर्वसाधारण को श्रपनी दनिक प्रावश्यकताओ़ों को “: सरलतापूर्वक पूरा करे फा प्वसर मिला है । कर ३. गृह उछोगों का पतन -पन्यों के पूर्व हमारे देश में गृह- उपोगों की प्रघानता पी । प्रत्येक व्यक्ति गूद उद्योगों के कारश स्वावलंची जोवन च्पतोत्त करना था । कल-क रसानों ने गृह उद्योगों की उपयोगिता को नप्र फर दिया प्ोर परिणाम यह हुपा. कि घपने उद्योगों के स्वामी. कारयानों में मजदूर के रूप में फायें करने लगे । ४. ध्रन्तर्राट्रीय व्यापार का जन्म -पयस्मों की सहायता से. बस्तुग्रों का उत्पादन पहले की प्रपेशा बहुत श्रधिक हो गया । झावस्यक- तारों की पु्ति के पनात्‌ भी वस्तुएं बनने लगीं । उनका सदुपयोग करने के लिए घ्रन्तर्राश्रीय व्यापार का जन्म हुप्रा । श्रावश्यकता की वस्तुएं भेजी वमगाई जाने लगों । उदाहरण के लिए कनाडा के गेहूं, भारत में श्राकर बिकने लगा ध्रोर भारत का जुट कनाडा में जाकर बिकने लगा। इस प्रकार ध्रन्तररोष्ट्रीय व्यापाइिक समभीते विभिन्न राष्ट्रों के द्वारा किये गये । ४५. घ्रायिक होड़ शरीर सात्राउपवाद को जन्म-वस्तुभ' का उत्पादन बढ़ जाने के कारण संसार के विभिन्‍न राष्ट्रों में आ्राधिक हो हो गई । प्रत्येक राष्ट्र ने ्रपने उत्पादन की खपत के लिए नवीन उपनिषेष पर झपना ग्रधिकार करने का प्रयास किया । उपनिवेषवाद ग्रागे चलक' साम्राज्यवाद के रूप में परिवर्तित हो गया । श्रायिक होड़ के कारण हैं दो विद्व महायुद्ध हुये जिनमें संसार के सभी राष्ट्रों को हानि उठार्न पड़ी । इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि विज्ञान ने ग्राथिक जीवन 1 क्रांतिकारो परिवर्तन कर दिये हैं। एक भोर तो परस्पर निभेरता श्रन्तररप्ट्रीयता की भावना कों जन्म दिया श्र दूसरी ओर सामाजि' जीवन में वर्ग संघर्ष की उत्पत्ति. हुई । , इसके विपरीत श्राधिक होड़ ' कारण कई राष्ट्रों की स्वतन्त्रता परतन्त्रता के रूप में परिवतित 1 गयी ।




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