ध्यान योग प्रकाश | ध्यान योग प्रकाश

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ध्यान योग प्रकाश by श्री मद्योगिन लक्षमण आनंद - Shree Madyoginlaxman Aanand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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_ के ब्योदेस्‌ के . वत्सत्परब्रह्मणे परमात्मने सच्चिदानन्देंश्वराय समिति ही झा शु बननमभ्णणव बग ३ कि प्र |. च्यानयोगपकाश कि ब्कु्िश जे कनहडडनदग .. सब झानघोगा नाल मथसोडव्याय सादी प्राथना । श्रों-विर्वानि दंद सचवितदु रितानि परासुव । यड्धद्धे तन्न आासुव 1. १ ॥ [ ध्यू शान्ति 5 कर यज़ु० झ़ध्याय ३० सं० इं॥..... _ छाथे --हे सब्चिदानन्दानन्तरुद्रुप परसकारुणिक हे जनन्तविद्य परद्ापरमारमन [देव] छाप छिद्याविज्ञानाक प्रकाशक तथा सकल जगद्ियधायोतक छौर सर्वानन्दघ्रद मैं । तथा [सचितः]ु देजयत्पिता ] छाप सूर्यादि- खिल सा को कर्ता सर्वेश्वर्य लम्पन्त सर्चेशक्तिमान भर चराचर जगत के श्ात्पा हैं । इस कारण हम खपलोग भद्धा भक्ति पेम व्योधि अपनी सस्पू्ण साझलिक सामझी से सचिनय छार्धोत्‌ अत्यन्त झाधीनतापूर्वक शसिमानादि उुए जुखी को त्याग कर शुद्ध झत्मा और न्तः्करण से छारदार यही मार्धचा छाप से करते हैं कि मारे [ विश्वानि दुरितानि ] सस्पूर्ण दुश्स्सी रु शुर्णा को [ एस खुबः छपया चए चर दीजिये । ह्




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