हिंदी - गुजराती शिक्षा | Hindi Gujarati Shiksha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १३ ) समुहवाचक संज्ञाएँ पानी के प्रकारों श्रीर फीज के समूहोके लिए प्रयुक्त हुई है । इसलिए उनका प्रयोग बहुवचन के रूप में हुआ है । श्धिकांश श्रनाजों के नाम बहुचचन में श्याते हैं जैसे-- भग (मुँग), तथ (तिल), स्मड६ (उ्द), भट्ट (सोंठ), धढ' (गेहूँ), प2एु। (मटर), थे मा चावल), श्रादि 1 इसके श्रतिरिक्त निम्नलिखित शब्द बहुवचन में ही प्रयुक्त होते दै-- सपाषा (गर्भच्छा), स्मे।नारशा, (बलेया लेना), शतण। (चेक) था शुक्राश (होश-हवास) आदि । कुछ शब्दों के रुप एकवचन श्रीर वहुवचन में समान रहते है, श्रर्थाव, उनमें चहुबचनका पस्भिर प्रत्यय नहीं लगता । जेसे--- नमरञार, लय (विवाद), अशुभ समानयार आदि | नीचे के वाक्यों में दोनों रूपा में प्रयोग देखे जा सकते हैं-- ले घय विवाढ़ इच्मा | लक धया विवाद हुए । भान टीवु .. सान दिया । भान री ' मास दिये । अरबी, फारसी श्रादि विदेशी भापाश्रों के शब्दों के वहुवचन गुजराती व्याकरण के श्रनुसार दी बनते हैं । हिन्दी की भॉति इन भापाशओं के रूप सीधे नदी श्रपनाये जाते । जैसे हिन्दी में मकान का बहुवचन मकानात हो सकना है, पर गुजराती में 'मा५” प्रत्यय लगाकर भठ्ासन का चहुवचन भसधानें, दी दोगा । नानक षपष प्रकरण संज्ञा यजराती में संज्ञा को नाम कदते गुजराती में संन्नाके पॉच प्रकार सिर होतें हैं:--- १-संज्ञावाचक्र, २-जातिवाचक, रे-समूहवाचक ४-द्रव्यवाव्वक '५.-साववाववक ज ः




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