हिंदी - गुजराती शिक्षा | Hindi Gujarati Shiksha
श्रेणी : शिक्षा / Education
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.63 MB
कुल पष्ठ :
84
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३ )
समुहवाचक संज्ञाएँ पानी के प्रकारों श्रीर फीज के समूहोके लिए प्रयुक्त हुई
है । इसलिए उनका प्रयोग बहुवचन के रूप में हुआ है ।
श्धिकांश श्रनाजों के नाम बहुचचन में श्याते हैं जैसे--
भग (मुँग), तथ (तिल), स्मड६ (उ्द), भट्ट (सोंठ), धढ' (गेहूँ),
प2एु। (मटर), थे मा चावल), श्रादि 1
इसके श्रतिरिक्त निम्नलिखित शब्द बहुवचन में ही प्रयुक्त होते दै--
सपाषा (गर्भच्छा), स्मे।नारशा, (बलेया लेना), शतण। (चेक)
था शुक्राश (होश-हवास) आदि ।
कुछ शब्दों के रुप एकवचन श्रीर वहुवचन में समान रहते है, श्रर्थाव,
उनमें चहुबचनका पस्भिर प्रत्यय नहीं लगता । जेसे---
नमरञार, लय (विवाद), अशुभ समानयार आदि |
नीचे के वाक्यों में दोनों रूपा में प्रयोग देखे जा सकते हैं--
ले घय विवाढ़ इच्मा |
लक धया विवाद हुए ।
भान टीवु .. सान दिया ।
भान री ' मास दिये ।
अरबी, फारसी श्रादि विदेशी भापाश्रों के शब्दों के वहुवचन गुजराती
व्याकरण के श्रनुसार दी बनते हैं । हिन्दी की भॉति इन भापाशओं के रूप सीधे
नदी श्रपनाये जाते । जैसे हिन्दी में मकान का बहुवचन मकानात हो
सकना है, पर गुजराती में 'मा५” प्रत्यय लगाकर भठ्ासन का चहुवचन
भसधानें, दी दोगा ।
नानक
षपष प्रकरण
संज्ञा
यजराती में संज्ञा को नाम कदते गुजराती में संन्नाके पॉच प्रकार
सिर
होतें हैं:---
१-संज्ञावाचक्र, २-जातिवाचक, रे-समूहवाचक ४-द्रव्यवाव्वक
'५.-साववाववक ज ः
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