हिंदी साहित्य समीक्षा | Hindi Sahitya Samichha

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Hindi Sahitya Samichha by श्रीयुत गुर्ती सुब्रह्मन्य - Shreeyut Gurti Subrahmny

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( है? _ मौवांत्य आचार्यों में न तो समालोचना की शोर कसी का व्यान ही गया, श्र न इस शाख्र का कोई क्रमवद्ध विकास ही हुआ । टीका टिप्पणियों में समालोचना का यत्र-- _लीचनाकों तत्र निर्देश है। व्याकरण घमशास्र आदि में परिभाषाएँ. जहाँ कहीं विवादास्पद अंश हैं उन्हें समालोचना (र) भारतीय. का दी अज्ञ समझना चाहिये | पर यदि कहा जाय कि पश्चात्य देशों की तरह थारारूप में यहाँ कोई क्रमबद्ध विकास हुआ है तो यह घास्णा बिल्ककुत्ड निमूल है । द्विन्दी में भी संस्कृत की तरह कोई प्रशंसनीय उद्योग नद्दीं किये गये । हिन्दी में श्रब तक एक ही पांडित्य समालोचना की. पूर्ण पुस्तक लिखी गई है और वह है बाबू श्याम- परिभाषाएँ सुन्दर दास का साहित्यालोचन | उसमें समा+ (३) दिन्दी.... लोचना की परिभाषा इस प्रकार दी है:-- “साहित्य क्षेत्र में अन्थ को पढ़कर उसके गु्ों और दोषों का विवेचन करना श्रौर उसके सम्बन्ध में अपना मत प्रकट करना श्रालोचना कहलाता है ।” न यदि यह परिभाषा आधी ही रदती अर्थात गुण दोष विवे- बन तक ही सीमित रहती तो सवेमान्य नहीं. हो सकती थी 1 गुणदोष विक्चन की शैली प्राचीन और एकाज्जी हैं। पर जक॑ उस के बाद अपने मत प्रकट करने का प्रश्न श्राता है तंब परिभाषा




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