ग्रामीण हिंदी | Gramin Hindi

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Gramin Hindi by धीरेन्द्र वर्मा - Dheerendra Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आमीय हिन्दी साहित्यिक भाषाओं में विशेष अंतर नहीं है वास्तव में दोनों का मूलाघार मेरठ-विजनोर की गख्ड़ीवोरली है। अतः जन्म से उदूं और आधुनिक साहित्यिक हिन्दी सगी बहिनें हैं। विकसित होने पर इन दोमों में जो अंतर हुआ उसे रूपक में यों कह सकते हैं कि एक तो हिन्दुआनी बसी रही और दूसरी मे मुसलमान घर्म अहण कर लिया । साहित्यिक वाता- वरण शब्द समूह तथा लिपि में हिन्दी श्र उदू में आकाश पाताल का भेद है । हिन्दी इन सब बातों के लिये भारत की प्राचीन संस्कृति तथा उसके बतेमान रूप की ओर देखती है भारत के वातावरण में उत्पन्न होने और पलने पर भी उदूं फ्रारस और भ्ररख की सम्यता और साहित्य से जीवन-श्वास प्रहण करती है । ऐतिहासिक दृष्टि से ाघुनिक साहित्यिक हिन्दी की अपेक्षा साहित्यिक उदू का जन्म उठूं भाषा का. पहले हुआ था । भारतवर्ष में श्वास जन्म तथा विकास पर बहुत दिसों तक मुसलमानों का केन्द्र देदली रहा श्रतः फारसी तुर्की है है.




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