राजनीतिक षड्यंत्र | Rajnitik Shadyantra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.8 MB
कुल पष्ठ :
179
श्रेणी :
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No Information available about उपेंद्रनाथ बंधोपाध्याय - Upendranath Bandopadhyay
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)द् राजनीतिक-पड यन्त्र ।
नरक पलप कर था
समेर लायों और उसी आफिसमें आकर डर गया । कुछ दिन
बाद, देवब्रत 'नवशक्ति' का्यालयमें चला गया । भूपेन भी पूरब
बंगाठको सैरको निकल गया । इसलिये 'युगान्तर'के सम्पा-
दनका भार मेरे और वारोन्द्रके ही ऊपर था पड़ा । अब क्या
था, में भी पाँचवाँ सवार हो गया !
ओह, बड्ालके लिये वे दिन भी केसे ग़ज़बके थे ! आशाके
र गीठे नशेसे उस समयके बड्राली छोकरे मस्तसे हो रहे थे ।
सबके दिलोमिं यही ध्याप गया था, कि “लाख बाघा-विघ्व होवे ,
पर न हम घबराये गे ।” न मालूम किस देवी स्पशंसे बंगालि-
यॉकि सोये इए प्राण जग पड़ थे । न जाने किस अनजाने देशके
आलोक ने आकर उनके मनमें छाये हुए युग युगान्तरके अ घेरेको
दूर कर दिया था ।. “जोने-मरनेको नहीं चिन्ताही मनमें लाये -
गे” | रवोन्द वावबने इस प्रकारका जो चित्र अड्ित किया है, वह
उस समयके युवक बंगालियोंका ही चित्र है। सचमुच उस
समय हमारे मनमें एक बड़ा भारी विश्वास पैदा हो गया था ।
हमो सत्य हैं - अडरेजॉंकी गोला-गाली, तोप-बारूद, पलटन और
मेशीनगन आदि कुछ भी नहीं, मायाको छाया मात्र हैं ! यह
बालूकी भीत, ताशका घर--दमारी एक ही फ,..कमें उड़ जाये-
गा । हम अपना लिखा देखकर आपही चॉक उठते थे--जीमें
ऐसा समकने लगते थे, मानों देशके प्राण-पुरुष दमारा हाथ
सकड़ कर अपने मनकी बाते” लिखवा रहे हैं ।
ना न
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