वेद का स्वरूप विचार | Ved Ka Svaroop Vichar

Ved Ka Svaroop Vichar by मोती लाल शर्मा - Moti Lal Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चेर ब्य स्थरूप-विसार प्पि १- यदि उपलब्ध सदिठा-गाझखाठमक पुम्तऋरुप से उपलब्ध ककयर-पढमर- परानुपूर्वी से झवन्छिप्न शब्दारसक बेद हो अपोस्पेय एवं निस्प दे, तो [सिपूषो बाकम्रर्तिषेदे” रेशेपिक द्रान से ठम्श्सब रखने बाते इस कणाएं ध्धान्स बा कया सदस्य दे ! । कन-पुस्तकात्मक वे दी यति निज, एज श्रहतक हैं हो- सास स्पशरच सूप थे रसो गन्परच पश्थम । बेदादव प्रग्रयन्ते प्रमतिगुखकर्म्मत ' || (मठ > इस मानबीय बचन था कया समस्वय है | । यदेतन्मपर्ल तपति-सन्मददुक्वमू, ता भ्यच', से श्यचां लोक, । यरतदर्पि्दीप्यदे-वन्मद्दारतम्‌ , तानि समानि, स सामना लोक: | मप य एप एवस्मिन्‌ मणइले पसुप -सो5ग्नि । तानि यज पि । से पजुपा लोक । सपा श्रर्यंव मिधा सपति । नशत८ जा० 1०|४1२।ह ए। अर्धात--सए थी सूर्य का सगइल इस प्रत्यप देख रे हैं उलका साम सददुवण है । इग्दी का नाम ऋणाएँ हैं बी ऋनाशँ का लोड दे । यए दो मगाशमरुदत प्रदवदकस से प्रशयखित दो रद दे. बएी सदातत है. उन को सम पद हैं एव परी शामी बा लोग दे। एवं इस मएइश है. केस में थो चपप देनी शप्ति दे उन्दी बो यह कद ता दे यदी गजुझ का लोक है | 'सप घग्यव विद्या हपदि' । सर्स्य बा तर रद्द दै, मानों शर्डद्बिया तप रही है । तसतदपि्वस अप्यादू, श्रपी था ण्पा दिद्या तपतीसि । स्तिप नि्वानों की कोन कए, शयस्पपारणण ब्य्ति मी कम से बम था मसनीमाणि जान दि दि - मरे इरा दे, हौनी रिपाईं का कोरा दे । बडा इस्पाडि भौतरमाल लिदाम्ती बा झाप दरों के सात्यम से शमापान बागे | बरा वेलपुर्तऋू से रूपनसरचार बभ्यतन्मावार उतरम नी हैं (।




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