भारत ज्ञानकोश खंड 6 | Bharat Gyankosh Khand (part-6)
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17.23 MB
कुल पष्ठ :
341
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रा इप्र (सर वाला एक महत्त्वपूर्ण खेल रहा है कितु विश्व की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण साइकिल घालन प्रतियोगिता टूर दे फ्रास (1901 में प्रारभ) अत्यधिक दुरूह परिस्थितिया में तीन सप्ताह लबी दौड़ को गाना जाता हे भारत में साइकिल चातन यो तो साइकिल परिवहन का एक अति महत्त्वपूर्ण साध्यम है कितु एक खेल के रूप में इसमें भारत ने अब तक कोई उल्लेखनीय स्थान नहीं बनाया है किसी अतर्राष्ट्रीय स्पर्द्धा में भाग लेने वाले प्रथम भारतीय जानकीदास थे जिन्होंने 1938 मे सिडमी के ब्रिटिश साम्राज्य खेली मे भाग लिया था 1951 के एशियाई खेलो में भारत नें रजत व कास्य पदक जीते 1982 मे बैंकॉक की 10वीं एशियाई साइकिल चालन प्रतियोगिता मे आर्मिन अरेथना ने 1 000 मीटर समय परीक्षण से रजत पदक जीता 1983 मे उन्होने मनीला मे हुई 11वी एशियाई साइकिल चालन प्रतियोगिता में 1 000 मीटर परीक्षण में कास्य पदक जीता साइकिल चालन को एक शाखा के रूप में भारतीय खेल प्राधिकरण की विशेष क्षेत्र खेल योजना मे शामिल किया गया है इसका प्रशिक्षण पंजाब के लुधियाना मे होता है घरेलू प्रतियोगित्ताओं मे प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली राष्ट्रीय स्पर्धा और राष्ट्रीय सडक स्पर्द्धा शामिल है प्रति दो वर्षो मे आयोजित होने वाले राष्ट्रीय खेलो भे साइकिल चालन भी एक मुकाबला है आर्मिन अरेथना अमर सिह मिभाती महापाश्र और बलराज सिह चीमा ने अतर्राष्ट्रीय स्पर्द्धाओ में अच्छा प्रदर्शन किया है व उन्हे उनकी उपलब्धियों के लिए भर्जुन पुरस्कार प्रदान किए गए है साइप्रस (सरू) क्यूप्रेसी परिवार की म्यूप्रेसस जाति के सजावटी और इमारती सदाबहार शकुवुक्षा की लगभग 20 प्रजातियो में से कोई भी ये एशिया यूरोप ओर उत्तरी अमेरिका के शीतोप्ण ओर उपोष्णदेशीय क्षेत्रो में पाए जाते है साइप्रस के नाम से प्रचलित कई रालयुक्त खुशबूदार सदावहार वृक्ष विशेषकर नकली साइप्रस और साइप्रस पाइन प्रजातिया इसी परिवार की दूसरी जाति से सबंध रखते है कभी-कभी साइप्रस नाम का उपयोग पीले रग की लकडी वाले और पर्णविहीन साइप्रस के लिए भी किया जाता है पूर्वी कनाडा मे जैक पाइन को भी इसी नाम से सबोधित करते हे साइप्रस के पेड सामान्यत 25 मीटर ऊचे और विशेषकर तरुणावस्था मे पिरामिड के आकार के होते है कुछ प्रजातियों मे प्रौढावस्था के बाद ऊपरी हिस्सा चपटा हो जाता है और उससे शाखाए निकलती है कई अन्य प्रजातिया छह मीटर से कम ऊचाई की होती हैं कभी-कभी इनकी छाल चिकनी होती है लेकिन अधिकाश प्रजातियों मे यह पतली पट़्िकाओ मे विभक्त रहती है जो वृक्ष से अलग हो सकती है फैली हुई और आरे के आकार की पत्तिया तरुण टहनियो पर लगी होती है लेकिन पुरानी शाखाओ पर ये हमेशा ही छोटी शल्कनुमा और शाखा से चिपकी हुई होती है ये सामान्यत
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