आरोग्य विधान | Aarogyavidhan
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23.91 MB
कुल पष्ठ :
730
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(९३ )
पीते हैं बह रक्त में सिलकर शरीर के प्रत्येक झंग में पहुँच'
जाता है । पानी अच्छा न मिले तो दसारी झारोग्यता में झवश्य
हानि पहुँचेगी ।
चहुत से झादसी श्च्छे' पानी के ल्लाथ बहुत कम ज्ञानते
। जब कोई झादमी विदेश जाकर चीमार पड़ जाता है, तब चह
झपनी बीमारी का कारण पानी ही बतलाता है । परम्तु झ्ादमी
श्रपनी जन्मभूमि में रदने पर भी दूपित पानी के कारण श्नीमार
पड जाते हैं। इस तरह बहुत से रोग उत्पन्न होते हैं। साफ पानी
की भी उतनी ही झावश्यकता है जितनी साफ हदा की है।
सफाई के लिये पानी बड़ा उपयेगी है। हम इससे श्रपनी देह
थोते हैं । बरखाती पानी से पौधे धुल जाते हैं. और उनमें रस
श्राजाता है । पृथिवी पर पानी बहने से उसका मैलापन दूर:
हो जाता है ।
९) पानी मिलने के मुख्य कारण
(९१) बरसात करा पानी
1. शदे--पानी मिलने का आदि कारण बरसात है । सब नदियाँ
समुद्र मे जाकर गिरती हैं तिसपर भी वह भर नहीं जाता ।
इसका क्या कारण है? “जहाँ से नदियाँ झाती है वहीं फिर
लौट ज्ञाती हैं” ।
सूये की गर्मी से पानी भाफ चनकर ऊपर उठता है, जिससे
कम मंद, या बर्फ चन जाता हे । जब पानी चरसता है तब
_कृसमें से कुछ जमीन पर वहकर नदियां श्औौर तालावें। में चला
जीता है श्और चहुत सा ज़सीन में समा जाता है, जिससे उसमें
सील बनी रददती हे और छुझो और सेोतें में भी पानी उबलने
झगता है, जैसे हिमालय की चेादियें पर, -जहाँ ठंढ बहुत होती
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