अध्यात्म रोगो की चिकित्सा | Adyatma Rogo Ki Chikitsa

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Adyatma Rogo Ki Chikitsa by

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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७ * अध्यात्म रोगों की चिकित्सा वाली वाधाओओ से बचने के उपायों को जानें, श्रौर उन्हें , प्रयोग में ला सके । मनुष्य सुख की प्राप्ति झौर दुख से मुक्ति, दोनो के लिए प्रयत्न करता है, परन्तु यह बात श्रस- न्दिग्ध है कि वह विशेष प्रयत्न दुख से छूटने के लिए ही करता है, क्योकि दुख की झ्नुभूति मनुष्य को शझसह्ा होती है । चतुर्थ प्रकरण प्रेरणा का मुख्य कारण-दुः्ख़ भारतीय शास्त्रों में दु ख तीन प्रकार के बतलाए गए हैं। वे निम्न हैं-- १ झ्ाधिभोौतिक--सर्प, ब्याघ्न, चोर, डाकू, श्रत्या चारी श्रादि प्राणियों से उत्पन्न होने वालें दुख श्राधिभीतिक कहलाते हू । २. झाधिदेविक--न्रांधी, श्नतिवृष्टि, श्रातप, दुशिक्ष, भूकम्प श्रादि से 'उत्पन्न होने वाले दुखो की संज्ञा शझाधि- दैविक है । इ« प्राध्याह्सिक--मन, इन्द्रिय, शरीर झादि के दुखो का समावध '्राध्यात्मिक” शब्द में होता हैं ।




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