प्राच्य-शिक्षा रहस्य | prachya - siksha rashya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.95 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इश्वररमरणा (६
सखेति मत्वा प्रसभं यदुक्क हे कृष्ण हे यादव हे सखेति ।
अजानता महिमानं तवाय॑ मया प्रमादाञ्णयेन बापि ॥
यच्चावहासाथेमसत्कृतोसि विद्दारशय्याशनभोजनेपु ।
एकोथबाप्यच्युत तत्समप्ष तसक्षामयें स्वामहमग्रमेयसू ॥
पित्तासि लोकस्य चराचरस्य त्वसस्य पूज्यश्च गुरुगरीयान ।
न त्वंत्समोस्त्यश्यधिकः कुत्तोन्यः लोकत्रयेप्यमतिम्रभाव ॥
तस्मात्मणम्य प्रणिधाय कार्य प्रसादये त्वामदमीशमीब्यम् ।
पितेव पुघ्स्य सखेच सख्युः प्रिय। प्रियायादसि देव सोदुम् ।
शर्रपूर्व हुपितोस्मि इट्टा मयेन च मव्यथितं मनो में ।
तदेच में दर्शय देव रूप॑ पुनः प्रसलो भव विश्व ॥
. प्रातः्काल्न ब्राह्ममह्त्त में कदापि शयन नहीं करना ऐसे
ही सन्ध्याकाल में भी निद्रा का निपथ किया दे, बिस्तर से
उठकर सुख प्रम्यालन कर निम्न लिखित मन्त्रीं को पढ़े:--
प्रातरंग्चिं प्रातारिन्द्र हवामहे . प्रातर्मित्रा चरुणा प्रात-
रश्विना । आतमंगं पूषणं घ्रह्मणस्पत्तिं । प्रातः सोममुत
रुद्र हचामहे । प्रिय मा कण देवेपु प्रिय राजसु मा कण.
| प्रिय स्वेस्य पश्यत उत शूद उत्ता्य्ये ॥
।. इन मन्त्रों को पढ़ कर शपने दोनों करतलों को देखे
| गेहां तक चने प्रात:काल मांगल्य पदार्थों का दर्शन करे ।
। ' वदनस्तर बहि्मूमि था ज्ञालरूर में बिस्मूत्र का परि-
| शग , कर समाहितचित्त , से शीत, दृन्तघधावन, करे -झर्थाद्
User Reviews
No Reviews | Add Yours...