रामलिंग | Raamaling
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.56 MB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दर उनका जन्म दक्षिण भारत के तमिलनाड् में चिदम्बरम जिले के उत्तर-पश्चिम में पंद्रह किलो- मीटर की दूरी पर स्थित मरुदूर नामक गांव में पांच अक्तूबर सन् 1823 को रामलिंग का जन्म हुआ । पिता रामय्या पिल्ले जो दौव वेलाल समुदाय के थे गांव के मुंचरी और अध्यापक थे । उनकी मां चिन्नम्में मद्रास के पास चिंगलपेट जिले के पोन्तेरी अंचल के चिन्नकवनम गांव की थीं । रामय्या पिल्ले की पांच पत्नियां थीं । पर उनसे कोई संतान नहीं थी । चिननम्म उनकी छठी पत्नी थीं और उनके दो पुत्र हुए--सभापति और परशुरामन तथा दो पुत्रियां हुईं-- उज्जामलै और सुंदरांबाल। रामलिंग पांचवी संतान थे। जैसा कि संतों और उपदेदाकों के विषय में सामान्य रूप से कथाएं प्रचलित होती हैं किवदंति है कि उनके जन्म भर उसके उद्देष्य के विषय में एक झव तपस्वी ने भविष्यवाणी को थी । यह भी कहा जाता है कि शिव स्वयं तपस्वी के रूप में रामय्या के घर आये तथा घर में कुछ दूर आगे चलकर अंतर्ध्यान हो गये । रामलिंग अभी छह माह के ही थे कि उनके पिता की मृत्यु हो गयी और उनकी माता अपने गांव पोन्नेरी लौट आयीं । यह कहा जाता है कि जब वे पांच माह के थे एक बार उनके पिता उन्हें चिदम्बरम ले गये । वहां शिशु रामलिंग को चिदम्बर रहस्य के दद्दोन हुए । परदे के पीछे के इस खाली स्थान को निराकार ब्रह्म का प्रतीक माना जाता है। संभवत जब रामलिंग को चिदम्बरम ले जाया गया था वे लगभग छह माह के रहे होंगे यह लेखक की मान्यता है। अपनी कविता में जहां वे अपने बाल्यकाल के अनुभवों की चर्चा करते हैं रामलिंग केवल मां को याद करते हैं पिता को नहीं । उस दोद्यव काल में जब मैं मांकोले आाया था पास तेरे चिदम्बरम में
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