भोजपुरी शब्द -परिचय | Bhojpuri Shabad Parichay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8.02 MB
कुल पष्ठ :
182
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)परीजपुरी मच्दा का परिचय प्रस्तुत करने सपय उनकी सरचनात्मक प्रकृति सर भी अवगत कराना आवस्यक हैं । यों तो भोजपुरी भाषा हिन्दी क्षेत्रों में आपने प्रमार नकलाब से कारण हिन्दी की सहगामिनी होती जा रहो हैं फिर भी उसकी चुनी दस्यरण और पद रखनी समप्वस्थी कुछ ऐपी विशेषताएं हैं जो उसे हिन्दी (खिशएन खदीवीली से शिस्न करती हैं। प्रस्तुत खण्ड में भोजपुरी श्दों की ध्यान फायदे एवं यह रतसा समखन्धी उन्हीं विशेषताओं ना उस्लेख किया जायेगा ध्वनि भोजपुरी मूलतः तदुभव-प्रधान भाषा है। उसके इसी तदुभवीकरण के कारण ग्राय नाग -बेज्ञानिकों मे इसे योली सी माना है भाषा के तद्भवीकरण में ध्वन्यात्मक ए्सितम होना स्वाभाविक है। भीजपरी भाषा अपनों वर्तनी तथा उच्घारण सम्बन्धी जिन थिशेषताओं के कारण हिस््दी थे पृथकता रखती है वे इस प्रकार हँ-- स्ा--स्वर सब्चम्धी लिशेषताएँ २. फिन्दी म को उप्वारण भोजपुरी में में हो जाता है किन्तु लिखा ही जाता है । भोजपुरी सें प्राय अ के स्थान पर इ तथा उ का प्रयोग किया जाता है पधा--आँखि ( आंख) जुगुति (जुगुत) राति (रात) दीठि (टीठ 2 नइछि 1 बठ जैठ पहँद (पैठ) सथा आाजु (आज) सासु (सास) सुमु (सुन) कह (कह आदि। ४ इ का उच्यारण ए. होता है यथा-एकहरा (इकहरा) एकतालिस ( कतालिस ? एकाई (इकाई) एकट्रा (इकड्ा | एकावन (1 इक्यावनम) आदि। ४. फ के स्थान पर प्राथ रि लिखा जाता है यथा-रिन (ऋण) रितु (कतु) रिसिं (ऋषि) आदि। लीं ५. ए तथा ओ के उच्चारण में अधिकांश शब्दों में हस्वीकरण हो जाता है यथा--टेंउता (देवता) नेंडता (नेवता) घेटुआ ओकरा बोकला नोनिया आदि
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