मैत्रायणी संहिता | Maitrayani Samhita
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11.96 MB
कुल पष्ठ :
363
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्प,
१०.
उक्थयग्रह, घवग्द्द, ऋतुग्रह, ऐन्द्रानग्रह, बेएवदेव,
ग्रह,
माध्यंदिन सवन (१५४३)०
णुक्-मन्थी, आग्रायण और उक्थूयग्रहों का पुन-
ग्रहण, मरुत्वतीयग्रह, सवनीय पुरोडाश-यजन,
मरुत्वती यग्रह-होग, माहेन्द्रेग्र ह,
तुतीय-सवन (१४४)-ण
आदित्यप्रह, आप्रायण-उवबधूय का पुनर्प्रहण,
सवनीय-यजन, साधचिभिग्रह, चैएवदेवग्रह, सीौम्य
चरु, पात्नीवतग्रह, हारियोजन, ग्रह, अति-
ग्राहयग्रह, पोडशीग्रह, दघिग्रह, आदाभ्य, और
अंशुग्रह, पश्वे-कादशिनी, द क्षिणा-होम, समिष्ट
यजुहोम, अवभूथ, काम्य पणुयाग, उदवसा-
नीयेप्टि,
(४) अ्निप्टोम के अवान्तर भेद (१४६)
उव्थूय, अतिराघ्र और पोडणी, सोमयार्गों
के अन्य भेद,
वाजपेययाग १५१०
काल, देखता-हुवि, यजन-घिधि, प्रात: सवन
माध्यं-दिन-सवन, रथधारोहुण, रथ दौड़, सपा
रोहण, अन्नहोम, अभिषेक, ग्रहहोम, पशुयाग,
तुतीय-सवन,
राजसुययाग १४५५-
काल, देवता-हवि,
() यजन-विधि, (१६१)--
नेक्रत-आनुमत इप्टि, पाँच विशिष्ट हुवि-
यगि; . आप्रायणोध्टि, . चातुर्मास्ययाग,
इन्द्रतुरीयाग, भपामार्गहोम, पंचेध्यीय होम,
देविकाहवियागि, त्रिपंयुक्त हविर्यागि, रद्नियों
की हवियां, विशिष्ट हृवियगि,
(व) दीक्षणीयेण्टि (१६५)--
मेत्रावाईस्पत्य चरु, देवसुव हृथियां,
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