स्त्री - शिक्षा अर्थात चुतर - ग्रहणी | Stree-shiksha Arthat Chutr-grahani
श्रेणी : शिक्षा / Education
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.38 MB
कुल पष्ठ :
209
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सार थाने वाला है; इसे तू. बढ़ी सावधानी श्र चतुरता से बदन
करना । न केवल घर वालों को दी, बदिरू पास पह्टोस के लोगों को भी
तू छापने विनीत श्र सदुव्यवद्दारों से खुश रखना । देखना, अपने
माँ याप का नाम दाजाना नहीं बेदी ! ऐसा काम करना कि सब तेरी
प्रशंसा करें--किसी को भा तेरी निन््दा करने का, साइस न दो । रात-
दिन घपने सासं-श्व खुर तथा पति की सेवा करने में दी मन लगाना,
इ्ीमें तेरा कराए होगा 1
इसी प्रकार की बहुत सी बातें, जो कुन्त बधू की माँ ने विदाई
से पढने उसे सममाई' थीं. एक-एक कर उसके मण्तिष्क में 'था-भाकर
चक्रुर काटने लगो--एकान्त स्थात में बेठे हुए हसे और काम
तो था नहों--घ्रपना माँ के दिये हुए उपदेशों को याद कर-कर के दह
उन्दीं के घनुसार श्रपने को बनाने की करपना करने कगी । कछुजबधु
बेचारी भी धपने इन्हीं खयाकों में डूबी हुई थी कि इतने में किसी मे
एकार्ट्क पीछे से (देकर उसको दोनों श्राँखे' बन्दू कर कीं । उसने हाथ
छुड़ाने की बहुत चेप्टा को; पर वह सफब्न न दो सकी - उ्यों-उर्यों वह
हाथ छुव़ाने की चेष्टा करदी, यों त्यों पकड़ छर भी ढ़ ोती जाती ।
नववधु सदसा कु कब्मा ठठी, उसने टटोन्ष कर देखा--पकबनेवाओे का
हाथ दो श्रत्यन्त कोमल शर छोटे-छोटे थे, किन्तु पकड़ बहुत मज-
बूव थी 1 ही
नववधू ने वार कर गिपगिड़ाते हुए कदा--'छोड़ दो सुखे--मेरी
आाँखे' दुखी जा रददी दें .।* उत्तर मिंदा--'पदले बताधो सुके, कि मैं
कौन हूँ १” नववधु बेचारी क्या .बताए कि नह किसके .सुद्ढ़ दा्थों में
श्प्ः
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