चंदन चांदनी | Chandan Chadani

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Chandan Chadani by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रर्‌ चंदन चाँदनी अमरनाथ भीतर की कोठरा में खड़े उसे इशारे से बुला रहे थे । लक्ष्मी ने पास जाकर देखा पति के सुख पर श्रजीब सी गम्भीरता दे | क्या बात है £? उसने प्रश्नसूचक दृष्टि से उन्दे ताका | गिरी की माँ अमरनाथ ने लड़खड़ाते स्वर में दबे ढके स्वर में कह्ा-- दुमने सुना समधिन क्या कह रही हैं ? नद्दीं तो लदमी का छुदय कॉँपा-- क्या श्र कुछ मुंह फाड़ री हैं ? भला इससे अधिक हम कहाँ से दंगे ? नहीं यह बात नहीं उनका कहना है कि उनके लड़के को बड़ी के बजाय छोटी लड़की पसन्द आई है । पपतिमा £ लदमो मानों झ्राकाश से गिरी--यह केसे हो सकता हे अमरनाथ ने स्वर श्रीर भी धीमा करके कहा--मैंने उनसे कहा भी कि देखने में बह भले ही गिरी से ऊँची या मोटी हो श्रभी सोलह की भी नहीं है । न गाना जानती है न श्रौर कोई काम । श्रभी तो वह दसवाँ भी पास नही है । फिर दम बड़ी से पहले छोटी का ब्याह कैसे कर्‌ सकते हैं ? हमारी गिरी लाखों में एक है लदमी भन्‍नाई । अमरनाथ ने उसे रोकते हुए श्रपना कथन जारी रक्‍्खा-- मैंने उनसे सब कुछ कहा पर वह कद रही हैं कि उन्हें तो बड़ी ही पसन्द है । पर ाजकल के लड़के मला मॉ-बाप की पसन्द को कया समभते हैं ? गिरीश कहता है ब्याह तो वह प्रतिमा से ही करेंगा । कमाऊ वेटे पर मैं क्या ज़ोर डाल सकती हूँ ? अरब श्राप कहें तो मैं छोटी की गोद भर हूँ अन्यथा जैसी आपकी इच्छा | लच्मी अवोली खड़ी रह गई । उसका मन भीतर ही मीतर टूट रहा था | इतना श्रच्छा कमाऊ लड़का हाथ से जा रद्दा था । पर वह मला यह कैसे कर सकती हैं कि बड़ी से पहले छोटी का रिश्ता कर दें ? यह




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