राष्ट्रीय संचेतना में डॉ. हेडगेवार का योगदान | Rashtreeya Sanchetna Me Dr. Hedgewar Ka Yogdan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उस समय निःसन्देह भारतीय समाज राजनीतिक घटनाओं के प्रति उदासीन रहा और आगे कठिन राजनीतिक समय के प्रभावों को उन्होंने भाग्यवादी बनकर झेला । उनकी इस उदासीनता के बड़े दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम निकले । भारतीय समाज और भी छोटे दायरे में सिमट गया और उनका सामाजिक जीवन अधिकाधिक जड़ और निष्क्रिय बन गया। . सामाजिक व्यवस्थाओं, परम्पराओं और प्रभावों ने कठोर तथा ठोस रूप धारण करना शुरू कर दिया। इसका एक मुख्य कारण था धर्मों का और अधिक रूद़िवादी हो जाना। क समाज का धार्मिक दृष्टिकोण लकीर का फकीर बन गया । धर्म का मतलब था कड़े नियम. और प्रतिबन्ध, यानी क्या खाओ और फ्या न खाओ, किसे छूओ और किस से दूर रहो, किस तरह के बर्तन में कहाँ खाना पकाओ या खाओ ” धार्मिक शुद्धता बनाये रखने के _ लिये लोग एक दूसरे के प्रति सामाजिक रूप से असहिष्णु हो गये थे। _ एकेश्वरवाद और “सर्व खल्विंद बरहम्के सिद्धान्त वाले सर्वेश्वरवाद में विकास और... आस्था रखने वाले लोग थे, लेकिन अधिकांश लोग बलि, झाड़-फुँक, जादू-टोने विभिन्‍न. पूजाओं और तांत्रिक क्रियाओं आदि में विश्वास रखते थे। हब ......... दूसरी तरफ 17वीं शताब्दी में हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच उपजा वैमनस्य 20 . वीं शती के मध्य तक चलता रहा। दोनों प्रमुख सम्प्रदायों को सामाजिक सांस्कृतिक जीवन में आपसी सद्भाव के स्थान पर एक दूसरे से अलग-थलग रहने की प्रव॒त्ति उत्पन्न हो ._ गई। मुस्लिम समाज अपनी ही रूढ़ियों के दायरें में सिमट गया | जब धर्मों ने आंतरिक सत्य से अधिक बाह्यरूपों को महत्त्व देना शुरू किया तो. धार्मिक अंधविश्वास, सामाजिक जीवन के सभी पहलुओं पर छाने लगे | पंडित वर्ग धर्मग्रन्थ के आध्यात्मिक मूल्य को महत्त्व नहीं देते थे। लेकिन समाज उनक आदेशों का पालन हर




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