राष्ट्रीय संचेतना में डॉ. हेडगेवार का योगदान | Rashtreeya Sanchetna Me Dr. Hedgewar Ka Yogdan
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
138.96 MB
कुल पष्ठ :
357
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उस समय निःसन्देह भारतीय समाज राजनीतिक घटनाओं के प्रति उदासीन रहा
और आगे कठिन राजनीतिक समय के प्रभावों को उन्होंने भाग्यवादी बनकर झेला । उनकी
इस उदासीनता के बड़े दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम निकले । भारतीय समाज और भी छोटे दायरे
में सिमट गया और उनका सामाजिक जीवन अधिकाधिक जड़ और निष्क्रिय बन गया।
. सामाजिक व्यवस्थाओं, परम्पराओं और प्रभावों ने कठोर तथा ठोस रूप धारण करना शुरू
कर दिया। इसका एक मुख्य कारण था धर्मों का और अधिक रूद़िवादी हो जाना। क
समाज का धार्मिक दृष्टिकोण लकीर का फकीर बन गया । धर्म का मतलब था कड़े नियम.
और प्रतिबन्ध, यानी क्या खाओ और फ्या न खाओ, किसे छूओ और किस से दूर रहो,
किस तरह के बर्तन में कहाँ खाना पकाओ या खाओ ” धार्मिक शुद्धता बनाये रखने के
_ लिये लोग एक दूसरे के प्रति सामाजिक रूप से असहिष्णु हो गये थे।
_ एकेश्वरवाद और “सर्व खल्विंद बरहम्के सिद्धान्त वाले सर्वेश्वरवाद में विकास और...
आस्था रखने वाले लोग थे, लेकिन अधिकांश लोग बलि, झाड़-फुँक, जादू-टोने विभिन्न.
पूजाओं और तांत्रिक क्रियाओं आदि में विश्वास रखते थे। हब
......... दूसरी तरफ 17वीं शताब्दी में हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच उपजा वैमनस्य 20
. वीं शती के मध्य तक चलता रहा। दोनों प्रमुख सम्प्रदायों को सामाजिक सांस्कृतिक जीवन
में आपसी सद्भाव के स्थान पर एक दूसरे से अलग-थलग रहने की प्रव॒त्ति उत्पन्न हो
._ गई। मुस्लिम समाज अपनी ही रूढ़ियों के दायरें में सिमट गया |
जब धर्मों ने आंतरिक सत्य से अधिक बाह्यरूपों को महत्त्व देना शुरू किया तो.
धार्मिक अंधविश्वास, सामाजिक जीवन के सभी पहलुओं पर छाने लगे | पंडित वर्ग धर्मग्रन्थ
के आध्यात्मिक मूल्य को महत्त्व नहीं देते थे। लेकिन समाज उनक आदेशों का पालन हर
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