बाईसवीं सदी | Baisvin Sadi

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Baisvin Sadi by राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वर्तमान जगत्‌ दजार पृष्ठ रदे होंगे | सुके पग-पगपर वत्तमान जगतकी संभी- घुटना[य श्राश्वय- जनक मालूम होने लगीं मैंने विचारा पहले यदद देखना दिये कि कौन- कौनसी पुस्तकें हैं । मेजपर एक श्रोर मोटे श्रक्करोंमें सूचीपत्र अकित एक गुठका देखी । देखनेसे शात हुआ इतिहास वनस्पति-विज्ञान साहित्य श्रौर मुगोलन्सम्बन्धी यहाँ दो-सो पुस्तकें हैं । भाषाके विचारसे अधिकतर पुस्तक दिन्दाकी थी । कुछ पुस्तकें सारवमौम माषामें भी थीं श्र एक-दो अग्रजीकी भी । मैने जिसे उस समयके लिए सबसे उपयुक्त समझा वद्द था--सावभौम राष्ट्रसगठनका इतिहास । उसे उठाकर में कुर्सीपर जा बैठा । पुस्तककी छपाई ऑ्रादि झ्रद्वितीय थी । छुपी भी इसी वर्षकी थी । लेखक नालन्दा- विद्यालयके एक इतिहासश श्रध्यापक विश्वामित्र थे । मैने विचारा दो-ढाई हजार प्ृष्टांवाली इस पुस्तकका एक घटेमे पढ़ना मुश्किल हे श्तः विधय-- ूचीदी देख लू । सूची देखनेसे १६२४के बादकी मसोठी-मोठी बाते जो मालूम हुई दे यह हैं--त्रिदिश छुन्न-छायामें मारतकों स्वराज्य १४६४० तक संयुक्त एशिया राष्ट्र १६६० तक सयुक्त एशिया-ग्रफ्रिका-आष्ट्रलिया राष्ट्र २००० तक सयुक्त यूरोप-झमेरिका राष्ट्र २०१० तक मूमडलका एक राष्ट्र २०२४ तक । मैंने कहा देखू श्राजकल श्रखिल भूमडज्ञका राष्ट्रपति कोन है । मैंने इसके लिए पुस्तकका अन्तिम अध्याय देखा जिसमें नामोंके साथ उन व्यक्तियोंके चित्र जन्मस्थान श्रौर शिक्षास्थान भी दिये गये थे । सम्पूर्ण भूमडलके राष्ट्रपति अगले तीन वर्षी के लिए श्री दत्त चुने गये हैं जिनका जन्मस्थान भारतें ही दै। शिक्षा उन्होंने तक्तशिलामें पाई । श्रवस्था चौदत्तर वर्षकी है । प्रधान मची आ्रोहारा जापानी हैं । शिक्षा-मत्रिणी मोनोलिन एक रूसी मद्दिला स्वास्थ्य-मत्री डेविड श्रमेरिकाब्रासी इसी प्रकार श्रीर-श्रौर विभागोंकि भी मत्री भिन्न-भिन्न देशोंके लोग हैं । मैंने खूब गौर करके देखा तो भी वहाँ सेना- मत्री कोई नहीं दिखाई पड़ा बिचारमें झ्ाया कदाचित्‌ छापेकी मूलसे नाम छूट गया हो । भला ऐसा मददतत्वपूण पद रिक्त केसे रद सकता हे ? पीछे मैंने देश-देशकी राष्ट्र-सभाश्योंमिं देखा सभी जगदद सेना-मत्रीका अभाव था | मैंने अन्तकी शब्द्सूची उलटकर देखी जहदीं सेना सेनापति सेना-मंत्री शब्द श्राफे




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