वीर विनोद | Vir Vinod

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Vir Vinod by महाराणा रत्नसिंह - Maharana Ratan Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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महाराणा रल्तिंह. 1 वोरविनोद [ मांडूकी बादशाहत-- ३११ की पटउडडटटटडटययरययदययययययरययययटयररपररययरयययरययययययर्र्््य््र् प्र 2 क ठड़ाइयां हाकर शेख जावलदा (१ ) की मारफत सुर हुई. हिजरी ८५० तारीख हो १2४ २० रजब [ विक्रमी १५०३ कार्तिक कृष्ण ६ इंसवी १४४६ तारोख़ ११ | ्क्टोबर ] को महमूद मांडूंसे निकठकर मांडठगढ़ वर्गरह मसेवाड़के जिलोंमें ठुट खसोट करता हुआ बयाने पहुंचा. वहां अपना सिक्का ( मुद्रा ) जारी करके उड़ता भिड्ता मांडूको ठौट गया और ताजखांको २५ हाथी तथा आठ हजार | सवारोंके साथ चिचौड़की तरफ मेजा. हि० ८५४ [ विक्रमी १५०७ न इ० १७४५० ] में गुजराती बादशाह मुहम्मद शाहने चांपानिरके राजा पर चढ़ाई को न राजाकी सहायताके लिये महमूद खिठसी मांड्से रवाना हुआ इस सबबसे मुहम्मद | दाह अआअहमदाबादको ठौटगया. महमूद भी चांपानेरसे कुछ नजर ठेताहुआ | इंडरके राजा सूर्यमछको इनाम देकर पीछा मांडू चठागया. रउस्ड तट कक चयन २. गे निज ०2 .र ६८५२०८५८०५५०७ न झ 5 हि० ८५५ [ विक्रमी १५०८ इं० १४५१ ] में एक ठाख फोज ठेकर सुल्तान महमूद गुजरात पर चढ़ा और रास्तेमें सुल्तानपुर पर कब्जा किया. इसी | च्सेंमें सुल्तान मुहम्मद गुजरातीके मरने और उसके बेटे कुतुबुददिनके बादशाह डी ् झेखझ होनेकी ख़बर मिठते हो अहमदाबादके पास पहुंचकर कुतुबुद्दीनसे ठड़ा. हि० ८५७ । [. विक्रसी १५१० न ई० १४५३ में महमूद सुल्तान कृतुवुद्दीन गुजराती से सुठहका इक्रार कर मांडू आया ओर हाड़ोतिके हाड़ा राजपूर्तोपर चढ़ाई करके । उनका मुल्क जीत छिया. फिर फ्िदाईखांको वहांका मालिक बनाकर आप वयाने । होताहुआ मांडूको चठागया.. दूसरे वर्ष सेवाड़पर चढ़ाई की और कुछ लड़ाई | भकगड़ा करके ठौटगया. हि० ८५९ [ विक्रमी 3५१२ न हे १४५५ ] में । मंदशोर होकर ब्पजमेर आया और वहांसे मांडू जाते समय मांडठगढ़के हक । पास महाराणा कुंमाकी फौजसे उठक पड़ा. . हि०_ ८६१9 के शुरू मुहरंभ [ विक्रसी १५१३ सागदीष देन १४५६ के नरवेबर | में मांडठगढ़ ठेनेके इरादे बचना जय जज जपयधययय न ् 1 पर सांदूसे सेवाड़में आया दो वर्षमें अपना इरादा पूरा कर शाहजादे गुया- सुद्दीनकों भेवाड़के पहाड़ी हिस्सेकी तरफ रवाना किया ओर आप मांडू गया. शाहज़ादा टूट मार करता हुआ हि० ८६६ [. विक्रमी १५१९ न इ १४६९ | में मांडू पहुंचा- इसी वर्षसें महमूदने दक्षिणके बादशाह निज़ामशाह बहुमनी से फतह पाकर हि० ८७१ [ विक्रमी १५९३ इं० १४६७ | में सुठह करली. हि० ८७३ ता० १९ जिल्काद [ विक्रसो १५२६ च्याषाढ कृष्ण ५ न इ० १४६५९ यान ज द दर पु दर दर ् पु नाश | नस शाणा 3 जय कान अप नव व (9 ) शेखू जावलदा एक बुसुग ( साल्य ) .आदसी था-- .. प््छ्ः ग र् 5 52. ्दटपस्र रस... सन कसकनिनस्न्टनिनडसलनस्स्तिनिररबनिनसिमिस्निस्सिनिनिससिसिस्निसिसिससनिस्ससनकी च् प्र न तर द पक दि री रे र प्र




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