भगवान बुद्ध की चुनी हुई सूक्तियो का संग्रह | Bhagwan Budh Ki Chuni Hui Suktiyon Ka Sangrah

Bhagwan Budh Ki Chuni Hui Suktiyon Ka Sangrah by वियोगी हरि - Viyogi Hari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(जिवककनाधकामिकात्ज्ततात्र थे जागृति के चार साधन (चार स्खत्युपस्थान.) १. शुद्ध होने के लिए शोक श्र दुःख से तरने के लिए दौर्मनस्य (मानसिक दुःख) का नाश करने के लिए सन्माग प्राप्त करने के लिए श्र निर्वाणुपद का साक्षात्‌ करने के लिए चार स्मृति-उपस्थानों का मार्ग ही एकमात्र सच्चा मागे है । २. चार स्पृति-उपस्थान ये हैँ-- (१) श्रपनी देह का यथाथ रीति से श्रवलोकन करना (२) वेदना का यथाथे रीति से अवलोकन करना (३) चित्त का यथाथ रीति से श्रवलोकन करना (४) मनोवृत्तियों का यथाथे रीति से श्रवलोकन करना । ये चार स्मृति-उपस्थान श्रर्थात्‌ जायतिं के श्रेष्ठ साधन हैं । ३. श्ररण्य में ब्ष के नीचे अथवा एकात में पालथी मारकर गदंन से कमर तक शरीर सीधा रखकर भिज्लु जागरूक रहकर श्वास खींचता है श्रौर प्रश्वास बाहर निकलता है उसका श्राइवास आ्रोर प्रश्वास दीघे है या हस्व इसकी उसे पूर्ण स्पृति होती है जाएतिपू्वक वह श्रपने प्रत्येक ्राश्वास-प्रश्वास का श्रभ्यास करता है । जिस प्रकार बह झ्राश्वास श्रौर प्रश्वास को सम्यक्‌ रीति से जानता है उसी प्रकार वह श्रपनी देह का यथाथ रीति से श्रवलोकन करता है । १ इंद्रिय झौर विषय के एक साथ मिलने के बाद जो दुः्ख-सुख वब्ादि डानुभव दोता है ।




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