सम आस्पेक्ट्स में अवध के समाज एव संस्कृति के कतिपय पक्ष | Some Aspects Of Society And Culture Of Awadh In 18th Century
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
35.55 MB
कुल पष्ठ :
365
श्रेणी :
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No Information available about अखिलेश जायसवाल - Akhilesh Jayaswal
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तत्पश्चात सच 1756 ईं0 में अवध में. तृतीय नवाब शंजाउद्ला गद्दी पर बैठे । नवाब शुजाउद्बीना की बक्सर की पराजपके बाठ सन 1765 में अगजी ते एक संधि करनी पड़ी और वास्तव में इती संधि के पश्चात ही अवध राज्य का पतन प्रारम्भ हो गया और आधिक रूप से अवध टुबैन होता पला गया। क्योकि इस तंघधि के अनुतार अवध है. नवाब शजाउद्दीौला की 50 लाख श्पया युद्ध क्षति के स्प भे देना पड़ा तथा इलाहा बंद मुगल बादशाह की देना पड़ा और अवध में रक अग्रिज रेजीडिन्ट रखा स्वीकार करना पड़ा । मेजर बडा के अनुतार सच 1765 की तंघि ते लेकर तनू 1856 तक ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने अवध ते पचात करोड स्पया प्राप्त किया था । . इस पुकार नवाब शुजाउद्ौला के ही काल ते अगजों का अवध मैं हॉतिक्ष बने लगा जितकी परिणतति तन॒॒ 1856 ईँ0 के अवध के अधिग्रहण के स्थ मैंहनवाब शंजाउधौला ने तन 1775 तक राज्य किया । ० नवाब शुजाउदौला के पशचात उसका पुत्र नवाब आतफउद्ौला तन 1775 रँ0 में अवध के नवाब बने । खध के पुथम नवाब तआठत लॉ बुरहानुल्मुल्क ने आगरा के बाद आनी राजधानी पैजादाद को बनश्या थी । वे लखनऊ भी आर थे उत तमय लखनऊ गोमती नदी कै तट का एक छोटा ना कत्डा था. । नवाब बरटानल्मलः की यह जगह पतन्द आ गईं और उन्होनें कह बाग लगवाय तथा जनिक महलौ का भी निर्माग करवाया । इन्होंनें कालान्तर । वर्मा पूररिपूर्गानन्ट- वा जिट अली शाह और अवध राज्य का पतन-88 वर्मा परिपू्णानम्ट- वा जिद अबी शाह और अवध राज्य का पतन- 88 वर्मा परिवूभानन्ट- वा जिद अली शीट और अतथ राज्य का पतन 88
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