सोसाइटी एंड रिलिजन अस देपिक्टेद इन वायु पुराण | Society And Religion As Depicted In Vayu Purana

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Society And Religion As Depicted In Vayu Purana by ममता चतुर्वेदी - Mamata Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गुरू शव नि पट्माँ का प्रभातन ढिया पदक कर प्र पुर्णत नवीन लव नए प्ि मानव तिक विश्व की समस्याओँ का निहाकरण कहने जगत के यधा व स्वस्प को जानने आत्मा-पश्मात्मा न्थीं के रहस्य के स्पष्टीकरण में तहायक माना गया है । प्रस्तुत पुराण में भी इन्हीं विचारों को. चित करते हुए मॉइपा प्ति मैं घॉगदान देने वाले ज्ञान को ही सफल उपलब्धि बताया गया है । पारा शिक ताइयाँ के आलॉक में प्रतीत होता है कि बाल्य- काल ही चिदारम्भ का उचित तमय था आर अधियों के आजम शिक्षा केल्ट्र के स्थ मैं मान्य थे । अप्ययन और अध्यापन दानों में माँ छिक पुणाली ही प्रचलित थी. थो वैदिक काल ते घली आ दही थीं । आलो चित पुराण में पुवाचक के द्वारा उदाहरण-बॉधघक इलॉकों ते वर््य-चिथध को पुष्ट करने का प्रसंग प्राप्त होता है । _ प्रवचन कें ताथ ही शास्त्राध द्वारा ज्ञानवर्धन की परम्परा भी थी । चिधायी जीवन में स्वाध्याय के अतिरिक्त शारी रिक आर मानतिक विज्ञाम के लिये अवकाश की भी समुचित व्यवस्था थी 1 आलो चित पुराण में विधायी के प्ुद्धु क गया हें । वैदिक युगीन पर्म्पहा का निवा




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