भरूत शिलालेख का इतिहास और पुरालेख | History And Palaeography Of Bharhut Inscriptions
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
30.73 MB
कुल पष्ठ :
275
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पर स्थापित था और जिसमें यह उल्लेख मिलता है कि शुंगों के राज्यकाल में तोरणद्वार का. निर्माण हुआ प्रस्तुतीकरण की प्रक्रिया धनभूति के द्वारा सम्पन्न हुई ।. वंश श्रृंखला में धनभूति को वात्स्यीपुत्र वात्स्यी को अंगारयुतत का पुत्र अंगारदुत को गौप्तीपुत्र तथा विश्वदेव का पौत्र विश्वदेव को गार्गी पुत्र बताया गया है। र् शुंगकाल में तोरण वेदिका तथा शिलाकर्म आदि के भेंट किये जाने का उल्लेख भरहुत के अभिलेखों में प्राप्त होता है। भरहुत के पूर्वी तोरण पर वाच्छिपुत धनभूति .. का एक अभिलेख है । इसके अतिरिक्त इन अभिलेखों में वात्स्पीपुन् धनभूति नामक राजा के पिता गौप्तीपुत्र अंगारदुत (प्राकृत आगरजु) पितामह॒ गार्गीपुत्र॒ विश्वदेव (प्राकृत विसदेव) पुत्र कुमार व्याधपाल (प्राकृत वाधपाल) के नाम प्राप्त हुए है । इन अभिलेखों से इस तर्क के निश्चित प्रमाण हैं कि स्तूप का निर्माण शुंग काल में ही हुआ ।. आलोचित अभिलेख भरहुत स्तूप के पूर्वी - तोरण द्वार पर स्थापित एक स्तम्भ पर मिला था जो कि सम्प्रति इण्डियन म्युजियम कलकत्ता में सुरक्षित है ।. सम्बन्धित अभिलेख की मूल पंक्तियां निम्नोक्त है - सुगन॑ रजे रओ गागीपुतस विसदेवस । पोतेण गोतिपुतस आगरजुस पुतेण 117 वाछिपुतेन धनभूतिन कारितं तोरनां । मंतो _ 18 सिलाक च उपंण ।। भरहुत के वेष्ठनी अभिलेख में धनभूति को सन्दर्भित किया गया है । प्रस्तुत अभिलेख को पहली बार कनिंघम ने ही प्रकाशित किया था। . अभिलेख में धनभूति को राजा की उपाधि दी गयी है (धनभूतिस राजानो) जबकि पूर्व विवेचित अभिलेख में उसे कोई भी राजकीय उपाधि नहीं दी गई है यद्यपि उसके पितामह को राजा की उपाधि अवश्य दी गई है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि स्तूप के निर्माण की क्रिया में धनभूति का महत्वपूर्ण सहयोग था । परन्तु यह विवादास्पद है कि उक्त राजा
User Reviews
No Reviews | Add Yours...