वातायन | Vaatayan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.73 MB
कुल पष्ठ :
224
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about जैनेन्द्र कुमार - Jainendra Kumar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)फोटोच्राफी ष्द रामेश्वर अभीतक कभीका दे देता पर दे तो तब जब हो । उसने कहा-- देनेके माने उसे खराब कर देना है । इससे तो अच्छा उसे तोड़ दी दिया जाय । आप मेरा परिश्रम क्यों व्यथे करवाती हैं ? उन्होंने फिर साथिनकी ओर ऐसे देखा जैसे वदद स्वयं रामिश्वरको छुटकास दे देना चाहती हैं । पर शायद साथिनकी ओरसे उन्हें संकेत मिला--लाहोर जाकर यह बात छिपी न रहेगी फिर केसा होगा ? उन्होंने कहा-अघसतो तोड़ डालिए । रामेश्वरने सोचा--अगर कहीं दूसरी मदिला भी फोटोमें आ गई होती तो शायद कठिनता न होती । उसने अपील करते हुए कदा-- जी देखिए मैं दिछी रहता हूँ आप लाहौर जा री हैं । मेरा आपका परिचय भी नददीं दै । इस दिनको छोइकर शायद फिर कभी मिलना भी न होगा । मैं व्यवसायी फोटोग्राफर भी नहीं हूँ । आपको मैं वचन देता हूँ मेरे पास तस्वीर रददनेमें आपका कुछ भी अदहित न होगा । मॉने फिर अपनी साथिनकी ओर देखा पर उनकी तो तस्वीर खिंची न थी । मँनि कदा--आप अखबारमें भेज देंगे अपने यहाँ लगा लेंगे । रामेश्वरने तुरंत कहा--मैं वचन देता हूँ न में लगाऊँगा न कहीं भजूगा पर आप मेरा परिश्रम व्यर्थ न कीजिए । माँको विश्वास हो चुका था कि यह बात लाद्दौरमें बालकके पिता तक अवश्य पहुँचेगी । वह बेचारी क्या करतीं ? बोलीं--नहीं आप तोड़ ही दीजिए । वह इतना अविश्वसी समझा जा रहा है इसपर रामिश्वर भीतरसे बड़ा घुट रहीं था । इच्छा हुई कि सच-सच बात कह दूँ पर ध्यान हुआ--उसे सच कौन मानेगा ? मैं कहूँगा तस्वीर नहीं लिंची सिफ॑ बालकको बहलानेको तमाशा किया गया था तो कोइ यकीन न करेगा । वह समझेंगी--मैं तस्वीर रखना चाहता हूँ इससे झूठ बोलता हूँ और बहाने बनाता हूँ । रामिश्वरको इस लाचारीपर बहुत दुःख हुआ परन्तु उसने कहा--अगर आप करेंगी तो मैं तस्वीरको तोड़ ही दूँगा पर मैं फिर आपसे कहता हूँ मैं दिल्ली चला जाउँगा । फिर आपके दशेन कभी मुझे नददीं होंगे । अगर आपकी तस्वीर मेरे पास रददी भी और मैंने टॉग भी ली तो इसमें आपका क्या हज है ? देखिए बालक इयामका चित्र मेरे पास रहने दीजिए । आपके चित्रके बारेमें मैंने आपसे पहले
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