श्री सूर्य स्तवन संग्रह | Shri Surya Stavan Sangrah

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ७ करें उपरति उपा भाखर, सदा जय हो सदा जय हो ॥ ऐप. २० ॥ चांसचाड़ा शहर उुन्दर, शुन्नासी साल में तहां पर । कथे युण 'सूयमुनि' नमसकर, सदा जय हो सदा जय हो ॥ ऐू. २६ ॥ अबयससमिक फिनग स्व. जैनाचास श्री साधव सुसि महाराज के युण कधन, पूज्य माधव सुनि छानी, गयो हाँ जैन फो हीये । विशद विज्वास युणुखासी गयो हों जैन को हीरो ॥ टेर ॥ तीघ्र असिलापा है मन की, दयालु पूज्य दर्शन की । दुपति नां दोत नेजन की, गयो दा जैन को हीरो ॥ ऐू. १ ॥ श्रझजाती सुकुल ख्याता, चेशीघर ताल सुख दाता । श्री-




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