सिद्धांत प्रकाश | Siddhant Prakash
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.26 MB
कुल पष्ठ :
248
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दा
सिंडन्तप्रेकोश। वधू
च्यत्यत सुख इतपन्नह्ोताह (कॉर्ेन्ट्रियंसिदिरिशडिक्षया-
संपसः ६ ) तपुंके अभ्यास करेंने से इन्द्िंयोंकी सु्ष्म
दृष्टि होजाती हे जों दूरदेशंमें सी बंस्तु रंदसी है अथवा
प्वेतांदिंकों में है सो बस्तें भीं तिसंके नेत्रों के सन्मंख प्र-
तीतिहाती है इतनी सामध्य तिसकी होती है ( स्वाध्या-
यादिएदेवंतासंघ्रयोगः£ )8कार पर्वक 'इष्ठसूंचके जपकें
च्यस्यास :करनेंसे जिसदेवता के दुरशनकी ईच्छाहीवे सो
देवता तिसको- प्रत्यक्ष होजाताहे ( तंतोंदंन्ड्रीनिमिघातः
१८) ब्मासन के जयकरनेसे शीतोष्ण क्षुधा, दृंषोंदिक
: संता नहीं सक्तेहैं झासनकी सिंद्धिके आ्यनेतर प्राणायाम
कीसिद्िह्दीती है ( ततःश्ीयतेप्रकाशावरणश् ११ ) प्रा-
एयोंमें के.सिद्धहोनेसे चित्तगत जो छेशंरंपीं व्मांवरंण
है. सो नाशको प्राप्त हीजाता है स्थंतिः ( मानसंचाचिकं:
चारपिकायिकंचापिंयकृंतेंसूं तत्सबैनाशयेत्पाप॑प्राणंयाम'
येणवे १ ) मनकंरके'वाणीकररके शरीर कररकें जों पाप
क्रियेहें सो सस्पूर्ण पाप तीनप्ाएयासकरनेसे नष्टहोजा
तेहें (देहयतेध्यानसंन्रिणघातूनांहिमलेंयथातंधेन्द्रियस्य
देहयंतेदोषाःप्राएंस्यसंयमात्२) जेसे सच शादिं घांतुंा
के मंत्र अग्निमें घसाने से दर्घट्दोजाते हैं तैसे भाणों के
उन सटे 3
रोकनें से अथात् प्राणायांमके कंरनेसें इान्ट्रिया के दॉप
सर्य दग्ध होजाते हैं-अद: प्रत्याह्वरका फल दिखते हैं
जेंसे मंघकर राजाके .तुसार अन्य मक्षिका होंती हूं
तिसीप्रंकार इन्द्रियमी चित अनुसारी होजातह च्यार
घारणा का फल चितकी स्थिरता है तिससे शीघ्रहमा स-
साचिका लाभ होता है प्यादका फल दिखाते हू स्वत
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