पद्मावती पुरवाल | Padmawati Purwal

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Padmawati Purwal  by मक्खन लाल -Makhanlal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| आप चुरा ले रानें. में यदि पंचपाप स्यागका ग्रश्न करें न जनक गाल शरत ने उठे एखे वि रहे ही नौजवान निकलेगें है? बे-वल संस्काग्का न देना टी शरण टै । इसलिये संस्कारकी रीति चलानेकी तफ सर प्राजका ध्यान आकर्षिन पाना सातिये ; छूसका या कारण इस के सिखा अपनी आजा पिकाओका सिल' सिला मी पुस्ा दाना नापिथ 1 हक ऊउच य- पौकि याग्य १. खर्ताऋ आजीनिकाको कुछ लोग युरा लमसत्त ।.. परत इनामी बात जरूर न कि उस पदाप!न ८) यदि चि साध दाने का स्वयं कम रह यठी सम यरि मत्तदु- कि करा करण हाय तो थे उसे सुर नर मानना है. हम्परें तानिप जमींदा रोग बहुत है। जार रमन दंत अाजीचिद' अपयुदयका करण ८ « ,स्लिय या: +न ते जिंक जानी पड़ी है । अपना ग्लाफा उपाय पद्मावती पुर्वाल जाति मुख्यतासे तीन प्रांतॉम विसक्त राग्ही ४: + सच्य प्रदेशम 2) नागपूर पति, 5 ! पायवा प्ांतम इन प्रातांक फ्ावती पुरवाल्डों ते सर डांदा- 1 माजवा प्रातम ;०८र है : नागपुर प्रातमें ९८० हैं । वाकी मध्य प्रदेशम हैं ! मध्य प्रदेशकी संख्या सबसे अधिक है | नाग- पुर प्रांतम बहुत ही कम हैं । चहांरी दशा देख- नेसे मादूम हुआ कि सदिरहीं दूसरी जगह उनकें संबंध न दोन लग गे तो बह संख्या घीघ दी खतम रोजान चारा है हू जन बुल १३०० हैं थे व फेसी दशाम कोई ऐसी तज्बज सोचनी खादियें वि. जिससे उमकी बध्ता अर यदि ह अनेक उपायामस पक यह मी उपाय हे कि उनकी संततिके घिवादह संघ अपनी तरफ किये जांय । इससे बघुत्य-प्रस मी चटेंरर अर समूह दाकति भी बढ़यी । आप अपने चिच्ार दि! यदि उदास बनावंग तो इसकी घहुत रे डी आर इयकता तन पढ़ेगी . इसके लिय उधगव बच्चों की सुपर उीक सान्दूम होनी चाहिये हस्त कामसका मार दाद बारात साकाई मंह्ागाचात अधवा दाउ राधानणा सकाय्स रोड गा कर्डक [रा करा सा हटा - र पार पड जायरा ! मगर पिचयय ररार्यलकं रघुनाथदा सजी साले सर फडाकार पफिन्थे बन में गहंग्त कि सिरास सह घाग स्वालपीयर कै . सालधा फ्रातिवां पुर :स्प्ो मर्दमघुधारी पसिद्ध की 7 आर ने गपुर प्रात तथा इस मपप्यप्रदेदादा सीप्ान पर पपरीस्टास जीने तयार की है ' इस्वें, लिये समाज उनका ऋणी है । यह ऋप चडुग -ए सहला था न अब इस सुमारस्र यह सती ना सिवा सादिये कि बय्च जी अधिघानिन ८ थे पसयथ दॉसक । यद्द काम कोइ पांडे सार्थे उचेनतो होसकता है ' कै रप्ना से हैं शप पॉंडोमें शिक्षाका प्रचार यदि दोजाय तो बिषवादादि सबघा सुघार बहुत कुछ होसकता हे! थे देख रहा हूं कि बहुत कुछ शिक्षासे उपेक। उन लोगोंशो इॉरट: है। इस कामपर मेरे सिअ्र पांडे मद! दीरखद्दा-




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