चाणक्य और चन्द्रगुप्त | Chanaykya And Chandraguta
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
88.03 MB
कुल पष्ठ :
553
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भ्वाला हूँ परन्तु में बड़े प्रेम सै इलेका लालन-पालन करूँगा । ईश्वर का चमत्कार है। उस वृद्ध ने ज्योंडी बालक को अपनी छाती से लगाया त्योही बह दीन बालक बिलकुल चुप हो गया और उस बुडढ़े के शरीर में और भी ज़ोर से चिपटने लगा । वृद्ध ने साचा कि देखो उस परमात्मा की महिमा कितनी अपार है कि मुझे झपने गोवत्स की खोज करने के निमित्त से वह इतनी रात को यहां ले झाया झर यह बालक मेरे खिपुर्द किया । इसमें झावश्य ही उस लीलामय परमेश्वर का कोई न कोई यु उद्देश्य है । इस प्रकार मन ही मन साचता डुझ्ा वह झपनी घाटी की शोर चला । झपने घर के पास आते ही उसे झपने गोवत्स के मिल जाने का भी घानन्द्दायक समाचार प्राप्त हुआ । झब क्या कहना है उस स्वाले के हषे का पारावार न रहा । अत्यन्त व्यानन्द में झाकर वह सब से यही कहने लगा कि भगवान कैलासनाथ मुझे यह बालक देना चाहते थे मेरे हाथ से इसके प्राण बचने थे झ्ौर इसी हेतु से उन्हींने मेरे बछुड़े का भटका दिया । यह कह कर उसने सब का वह बालक दिखलाया । उस बालक को देख कर प्रत्येक को यही बिश्वास इुा कि यह बालक किसी न किसी बड़े झादमी का होना चाहिए । परन्तु उस बालक के शरीर फर एक रत्नखचित रक्षावन्घन के अतिरिक्त ौर काइ भी निशानी नहीं थी ।
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