टालस्टाय के सिद्धान्त | Talastaay Ke Sidhant

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Talastaay Ke Sidhant by जनार्दन भट्ट - Janardan Bhatt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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. सच्तिप्र जीवनी । .... पे सकल #ीध हसथिटीग हम तक अभि ५ भा कि वि व दि कि बजट स्वतंत्रता देनी चाहिये । .. शोक है कि टालस्टाय का यह प्रयोग बहुत दिनों नहीं चल सका । इस स्कूल की स्थापना के कुछ दिनां बाद वे. बीमार पढ़े और जल बायु के परिवतन के लिए बाहर चले गये । उसी समय संदेह में पुलीस ने उनके गांव की तलाशी ली । यद्यपि पुलीस को कुछ भी संदेह-जनक बस्तु नहीं मिली तथापि इस तलाशी का प्रभाव वहां के शांत निवासियों पर इतना अधिक पड़ा कि उन्होंने बह स्कूल बन्द कर दिया ।.किन्तु इस स्कूल की बदौलत. रूसी भाषा में कई पाव्य-पुस्तकें ऐसी बन गई जो आदर्श मानी जाती हैं इसी समय के लगभग अथात्‌ सन्‌ १८६२ इं० में टालस्टाय ने अपना विवाह किया । उनकी पत्नी एक राजवंद्य घराने की लड़की थीं। उस बक्त उनकी अवस्था ३४ ब्षे की और काउन्टेस की अवस्था १८ बषे की थी । विवाह के बाद ये लोग यासनाया पोलियाना में रहने लगे । इसके बाद उन्हों ने अपने आप को साहित्य-सेबा में लगाया । इस समय उनकी कर्पना-शक्ति खूब बढ़ रही थी.। उप- न्यास लिखने में वे सिद्धहस्त दो रहे थे । उनका एनाकोरनिनः उपन्यास संसार भर के प्रसिद्ध प्रसिद्ध अ्न्थों में गिना जाता है। यह उपन्यास टाल्स्टाय का सर्वोत्तम उपन्यास है । सन्‌ १८८१ ई० में रूस की भीतरी राजनतिक दशा बड़ी भय॑- कर थी । राजनतिक संसार में एक तूफ़ान मचा हुआ था। इसका परिणाम यह हुआ कि माचं की १३ वीं तारीख को हृत्याकारियों ने जार अलेक्ज्न्डर द्वितीय को सार डाला । इस घटना ने रूस में बड़ी सनसनी पैदा कर दी । टालस्टाय पर इसका प्रभाव एक दूसरे ढंग पर पड़ा ।. उन्होंने देखा कि हृत्याकारियों ने ज्ञार की हत्या कर के इसामसीह के उपऐेशों को पेर के तले रोंद दिया है. और नये ज़ार न तब ला५ ह५ हाथ साध पिला टच ७१ न केला. धार बट केला




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