हिंदी उर्दू और हिन्दुस्तानी | Hindi urdu Aur Hindustani

Book Image : हिंदी उर्दू और हिन्दुस्तानी  - Hindi  urdu Aur Hindustani

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पद्मसिंह शर्मा - Padamsingh Sharma

Add Infomation AboutPadamsingh Sharma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्० हिन्दी उद श्र हिन्दुस्तानी फ़साहत दर देहली दम नसीब हर कस सेस्त मुनदसिर अस्त दर अशखास मादूदा । ( २२ पु० ) (22... िन्व्धरया न प्द2-5ननरीन डक पहनकर मै ७० १४ |... हु 3कु०/ कद पु अर्थात्‌ देहली में भी दर किसी के हिस्से में फ़साइत नहीं है चन्द चुने हुए आदमियों को ही नसीब हुई हे । लेकिन इन्शा का यद्द फ़तवा उन्हीं के वक्त की श्रौर वद्द भी सिफ़ शहर की जवान के हक़ में ठीक माना जाय तो माना जाय अरब तो यद्द कद कभी की टूट चुकी है उद बहुत आगे बढ़ गई हे । सय्यद्‌ इन्शा ने उद.-ए-मुश्रज्ला के लिये जो क़ेद लगाई हे--जो शर्तें पेश की हैं--यदि उनका उसी रूप में पालन किया जाता इन्शा की शाइर को यह लाजिम है कि हो अदते जबाँ से हो छून गइ रोर ज़बां उसके दहन को । सालूम है दाली का है जो मौलिदोमन्शा उद से भल्ता बास्ता हज़रत के वतन को उ्दं के धनी बह हैं जो दिल्‍ली के हैं रोड़े पंजाब को मस उससे न पूरब न दकन को । बुलबुल ही को मालूम हैं. अन्दाज़ चमन के क्या आलमे-गुलशन की खबर ज़ासो-जरान को ? हाली की ज़बाँं गर बसिसले नहरे-लबन हो खालिस न हो तो कीजिये क्या लेके लबन को रचन्द कि सनअत से बनाये कोई नाफ़ा पहुँचेगा न वह नाफ़ए-आहू-ए खुतन व । माना कि है बेसाख्तापन उसके बयाँ में क्या फकिये इस साख्ता बेसाख्तापन को । ये दोस्त ने दाली के सुनी जब कि तअूल्‍ली हक़ कहने से वह रख न सका बाज़ दहन को । कुछ शेर थे याद उनके पढ़े और ये पूछा--




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now