वीर विनोद [ग्यारहवाँ प्रकरण] | Veer Vinod [Gyarahva Prakaran]

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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महाराणा संयार्मसिंह २. 1] वीरविनोद 1 रामपराका पर्वानह - ९७५४ शक स्क रामपुराके पर्वानहकी नकल श्री रामोजयति. श्री गणेस प्रसादातु. श्री एकलिंग प्रसादात. 1 | न 1 1 पं दर के 2. उ श महाराज़ाधिराज महारांणा श्री संग्रामसिंघज़ी आदेशातु भांऐज | 9. के 5. कुंआर श्री माधोसींघजी कस्य ग्रास मया कीधो | थ् घीगता | | रे पदो रांसपुरारो थांहें मया कीधो हे सो सवार १ ००० एक हजार । 4 2 बंदुक १००० एक हजार थी छ महींना सेवा करोगा नें फोज कि फांटे असवार हजार ३००० तींन वंढुक हजार ३००० तीन थी का जा सेवा करोगा सो स्हां हजुर रहोगा जीन्रे या जायगा थां थी नहीं न न | ऊतरे. घ्रवांनगी पचोठली रायचंद मेंहतो माठदास जि बिक या फकस उवं संवत १७८५ वर्षे चेत सुदी ७ भोसे अ लकलवननकनक न. न कक कैप चनननन मांऐज कंअर श्री माधोसींघजी कस्य. डडज्ल्स्न्डणणसन्स्य्व्यस्नमयस्डरययरयासारयडायययसाययमयययपययययसममयययस्सयसपययरो ९ अपरसयपयासथ्वदलस्मयस्यससिगधग्दधस्वधस्वयधार्थदन्व्दग्थ्थ मदद मद्धमथ.सथग्द ससययामद जपललननिचलनननलणयटाणीगीपीीगागानीीााीटाएीान नाटटाटटानाटटाााडीटीीीएएएटाड्घुथअवइ्वचबब. 22.2. 52555... 22.55 सन रय-ययलणपसनपाल-वमना-पाायवायायाफलाकाकाकानरकणाणताण पर अधि ना. थााएण प्ठ222 5. 2. झट नयजनाजिय्िपकयाणाण [गण _ जग विद प्याज लय दे सब नशा थययनय सरशाा्प्टाजकाश काका जला जा काशकशकाकालाल कं द् की प्र पुकार िलिक पे पेकीककलीफ का ् ध्छु ्दन 1




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