नागरी प्रचारिणी पत्रिका | Nagri Pracharini Patrika
श्रेणी : पत्रिका / Magazine
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.81 MB
कुल पष्ठ :
175
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about प्रो. चंडीप्रसाद - Prof. Chandi Prasad
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२२८ नागरीप्रचारिणी पत्रिका ठीक ठीक घड़ी में देख ले और जब रात में दूसरी दृश्य-वस्तु दिखाई पड़े तो उसकी नति-घटी पढ़ ले कर समय देख ले । सूय्ये की गति तो ठीक मालूम है इसलिये उतने समय में जितनी चाल निकले उतना समय मिलाने से दृश्य वस्तु के विषुवांश का माप मिल जाता है। क्रांति ओर विषुवांश दोनों मिल जाने से उनकी स्थिति ठीक हो जाती है। छोर गणुना से उनके विक्षेपांश ( खगोलीय अक्षांश ) और रेखांश झा जाते हैं। पंचांग में तारों के रखांश और गति दी हुई रहती हैं। बिषुषत् का भी माप ले लेने से हिसाब पूरा हो जाता है और पंचांग की सिद्धि मालूम दो जाती है । यदि ध्यान से देखा जाय श्रौर दोनों यंत्रों में समय पढ़ा जाय तो चारों पढ़ाइयाँ एक दी समय में एक नहीं होतीं वरन् चार होती हैं । एक दी सम्राट के उत्तर-दक्षिण भुजाओं का समय भी एक नहीं पढ़ा जाता। पंडित बापूदेव कहते दै कि बड़े सम्राद् की भुजाएँ एक एक इंच लटक गई हैं। परंतु मेरे मतानुसार शंकु कुछ नीचा बना है घर भुजाएँ भी पूव-पश्चिम और चत्तर-दक्षिण झुकी हैं। मापने पर ज्ञात हुआ कि चारों भुजाआओं की श्रिज्याएँ बराबर हैं उनसे कोई भी बढ़ी हुई नहीं है। कितनी कितनी कुकी हैं ठीक नहीं बताया जा सकता । घड़ी को शुद्ध कद देने से किसी यंत्र को छोड़ा नह्दीं जा सकता । सब घड़ियों या यंत्रों [की श्रुटि नापकर संस्कार किया जाता है। व्यवहार का यही नियम सब देशों में है । दक्षिशासर मित्ति यंत्र -बडे सम्राट यंत्र के शंकु की पूर्वी दीवार पर दक्षिणोत्तर भित्ति-यंत्र अथवा दे मित्ति-यंत्र बने हैं। यह दीवार ठीक उत्तर-दक्षिण है। जब सूय्य या दृश्य-वस्तु याम्यत्तर पर आती है इस १--पुराने समय में ऐसे नक्षत्र-यंत्र धातुओं के बने रहते थे जिनमें माप के चिह्न भी रदते थे । इससे नति-घटी के लंकोदय में आसानी से बिना गणना के ही पढ़ लेते थे। आजकल भी इसी तरद के 3106 फ़ेपो०5 ( विसर्पोगणुक ) का प्रयाग इजीनियरिंग विभाग में किया आता है |
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