मनोरमा | Manorama
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
72.85 MB
कुल पष्ठ :
239
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मनोरमा श्छ
बागीले के चारों जोर ऊंची चहारदीवारी से घिरा हुआ हैं । उस
यहारदीवारी के पास पास देवदार और भकोआ कतार से लगे
हैं। बाबा ने बड़ी छालसा से घर का नाम आनन्द्कुटीर
रकखा था |
देवे० । अच्छा तो तुम तीनों में से जो मरी है वह तुम्हारी बहन
कुमों दिनी है यही सम कर न हमको काम चलाना होगा ? अच्छा
तुम्हारी बहन को मरे कितने दिन हुए ?
मना ० । मुझे पागढ बना कर जब कथबिराज के हाथ में कद किया
तब से दो हफ्ता पदले ही वह मर गई थी ।
देवे० । उसका देहान्त कहां हुआ १...
मना ० । आनन्दुकुटोर ही में ।.
देवे० । किस रोग से ?
मना० । जिस रोग से रामणुलाम मरा ।
देवे० | मिरगी से ?
मनेा० । नहीं जहर से । जब मेरी बहन का देहान्त हुआ तब मैं
खिद्रिपुर में अपनी जगह जायदाद पाने की कोशिश कर रही थी।
एक हमारे वकील थे । बाबा का सब मामिला मुकदमा वही करते
थे। मैंने उन्हीं को अपना सब हाल कह कर अपनी जायदाद
दिलाने के लिये बिनती की । उन्होंने मेरा हाल सुनकर दुःख
जाहिर किया और मुझे भरोसा दिया कि मेरे छिये वह कोई
बात उठा नहीं रक़््खेंगे । यहां तक उन्होंने जताया मानों मेरे
वास्ते वद्द आकाश पाता सब छान डालंगे। उसके ब्रादू
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