गीतान्जली | Gitanjali

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Gitanjali by रवीन्द्रनाथ ठाकुर - Ravendranath Thakur

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१ आमार माथा नत करे दाओ हे तोमार च रणघधू लार तले मम --शीष नय नतिर्माय | तव चरणरेणतले । सकलमहंकारं मम मजयाश्रुजले । साघयितुं स्वगोरवम्‌ सदा दघे स्वपरिभवम्‌ वृूथा --केवलमावेष्स्य निजं भ्रमामि प्रतिपढे ।




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