विद्रोही | Vidrohi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8.29 MB
कुल पष्ठ :
270
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रईस अहमद जाफ़री - Reis Ahamad Jafari
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छ दुसरे दिन सुबह नाइता श्रादि से फ़ारिग़ होकर शाकिर बाहर जाने के इरादे थे श्रचकन पहुन रहा था कि मनसुर पहुँचा । शाकिर मे श्रचकन के बढन लगाते-लगाते बड़े स्नेह-भाव से पूछा-- कुछ काम है ? जी हीं 112 कहो मैं दादी करना चाहता हूँ । (इस बेवाकी पर श्राइचर्य-चकित होकर) श्रवहंय करो परन्तु बिना श्रापके सहयोग के यह सम्भव नहीं । प(शौर हैरान होकर) मेरा सहयोग ? तुम समभते हो मैं कोई सकावठ डालूंगा तुम्हारी दादी में ? मुख कहीं के नहीं यह बात तो नहीं है । फिर क्या बात है 7 जब तक श्राप रजिया को तलाक़ न दे दें मेरी शादी होगी कंसे ? (मुख लाल हो गया म्राँखों से श्रगारे बरसने लगे) बया कहा तू ने ? _ ाप रजिया को तलाक दे दीजिए 41] पं भाव ३. माप उससे प्रेम नहीं करते । प्रापके लिए वह बेकार है जम उससे प्रेम करता हूँ मेरे लिए बहू काम की है ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...