शारीर बल विद्या [भाग-1] | Sharir Bal Vidhya [Bhag-1]
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.07 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डर कक
मु हि जायें एडियोंनें ठगनावें इस मकार करके नीचे
बैठ भावे, फिर दोमों हायोंको सामने धरके सब शारीरके
गेसको हाथ तथा पा्ोकी अंगुष्ियोपर सम्हारकर घुटनों
गौर शरीरको अशिथिछ (कड़ा ) करके साहनेकी ओर झुक
चावे. परंतु नाक जमीनमें न लगने पावे, फिर दाहिने हाथमें
सैंडियामिद्ी छेगे और मितनी छंबरी कोर सैंची जाते उतनी
रंगी ठकीर सडियामिट्ओोसे सैंच देर. इस कामें कोई
छा साथी मिठ जाय है बहुतही अच्छी बात है, क्योंकि
पसरका इंपीसे छकीर बहुत दूरतक सलैंचनेका अभ्यास
रेतहि, उनेके समयों फोरन कूदकर उठ नाते ओर उसतेही
दोनों हाथेति ताढ़ी बनाये. ऐसा कहते हैं कि इस कप्तरतते
रेरीरकी ३६० मोंको चरानर चढ़ने पहुँचता, है.
प्रयोग भठारंहवां--पांवोंको नोडकर तथा हा्थोंको
गंत्रंके उमीरे जुए भार्गोपर धरके सीधा खड़ा रहे, फिर
गेपीनते ऊपर कूदकर दोनों पावोजो अठ्ग ९ करे और
गन सेद रहनेके पहलेही पुन; पूर्वित् पावोंको मिछाकर
नेग रहे, फिर बीच २ में दाहिनी यंगको बायीं टॉगपर और
री टंगको दाहिने टगपर धरता ना, पांवॉंकी रंगुद्टियां
सैर थामने सामने “हें, परंतु वे परसपरकों छगने न देवें,
। गाक़ति १४ बी देखो, डे ्
मधोग उन्नीपततों-दोनों हावेंको आपने सामने धरके
परे बीचका जंगुलियोंकों फ्रपरें लगाकर उसमेंत्ते
सम मारे, पंच घुलने और गोढी हाथोंमें नहीं उगने पाप;
थे स्यामा
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