धम्मपद | Dhammapad
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.44 MB
कुल पष्ठ :
230
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about अवध किशोर नारायण - Avadh Kishor Narayan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दर घग्मपद जैसे बुरी तरह छाये घर में वरष्टि फा जल पैठ जाता है उसी प्रकार ध्यानाभ्यास से रहित चित्त में राग पेठ जाता हे । १ ४-यथागार॑ सुच्छन्न॑ वुट्ठी न समतिविज्कति । एवं सुभावित॑ चित्त रागो न समतिदिज्कति ॥१४॥। ( यथागार॑ सुच्छननं वृष्टिन समतिविध्यति । पच॑ सुभावितं चित्त रागो न समतिविध्यति ॥१४॥ ) जैसे अच्छी तरह छाये घर में वृष्टि का जल नहीं पैठ पाता उसी प्रकार ध्यानाभ्यास से अभ्यस्त चित्त में राग नहीं पेैठ पाता । राजगूद्द ( वेणुवन ) चुन्द ( सूकरिक ) प-इध सोचति पेन सोचति पापकारो.. उभयत्थ सोचति | सो. सोचति सो. विहन्ञति दिस्वा कम्मकिलिट्रमत्ततो ॥ १४ ॥ ( इह शोचति प्रेत्य शोचति पापकारी उभयत्र शोचति । स शोचति स बिहन्यते दृष्ठवा कम क्लिप्टमात्मन ॥२४॥ )) इस लोक में शोक करता हे श्रौीर परलोक में जा कर भी पापी दोनों जगह शोक करता हे । वह शोक करता हें परेशान होता हे श्रपने मेले कर्मों को देख कर । श्रावस्ती ( जेतवन ) घर्मिक ( उपासक ) १६-दध. मोदति पेच्च मोदति कतपुब्ञो यत्थ उभ मोदति ।.
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