छंद प्रभाकर | Chhand - Prabhakar

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Chhand - Prabhakar by जगन्नाथ प्रसाद - Jagannath Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(४ भूमिका | (७) यद्द देखकर ही जन साधारण के दिताथ इस म्रन्थ की रचना की है। छंद के नियमों का अन्थ पिंगल कट्दाता है यदद जितना सरणल हा उतना ही लाभदायक है। नियमप्रधान प्रन्थों में जटिलता सदर त्याज्य होनी चाहिये | नियमों की किज्ञष्ठता से विद्यार्थियों को काम पहुंचता संभव नहीं । अतएव यथा संभव इस विषय को झत्यन्त सुगम करने का विशेष ध्यान रखकर प्रस्तुत ग्रन्थ की रचना की गई है | (८) इस अन्थ में दमने श्रीयुत भट्ट इलायुद्ध के सटीक प्राचीन संस्कृत छुल्द शाख्र श्रुतबोध चृत्तरज्ञाकर छन्दोमं जरी बत्तरीपिका छंदःसारसंप्रदद इत्यादि ग्रन्थों का झाघार लिया है । इस मंथ में हमने विषय की श्रपूर्णता और श्रणन प्रसाली की क्ललिष्टता यथासंभव नहीं रखी है. यथा झन्योन्य पिंगल मन्थों के परस्पर विरोधी श्र गूढ़ (झमय्या दित्त दा अश्लील) श्द गारादि भी जो नियम प्रधान अन्थों के दूषस हैं नहीं ाने दिये हैं । नियम बर्खित मस्यों का गूढ़ शज्ञार से झोत प्रोत भरा रहना कदापि लाभकारी नहीं क्योंकि सन्हें शुरु शिष्य की पिता पुत्र या कन्या को भाई बहिन को ौर माता अपनी सन्तान को लज्जावश भलीभांति पढ़ा नहीं सकते भरतएव उनसे विशेष उपकार सहीं हो सकता | (९) कई छुन्दोम॑थ ऐसे हैं जिनमें प्रस्तार सूची शादि प्रत्ययों का पूर्णरूप से वर्सन नहीं किया गया दै किन्तु इस पन्थ में अप सम्बकू रूप से इनका बन पायेंगे । कई प्रस्थ ऐसे हूँ जिनमें हारी बसुमती समानिका कुमारकणिता तुंगा मदलेखा) सारंगिक मानवकीड़ा शिष्या विद्युन्माला श्रमरविक्षसिगा अनुकूला इत्यादि ब्ेंवृत्तों को मात्रिक छन्द की उपाधि दी गई है । और कई ऐसे भी हैं जिनमें तोमर सुमेरु दिगपाल रूपमाला मरहड्टा झादि | गा छन्द वर्सुवृत्त बताये गये हैं किन्तु ये दोष इस मन्थ में नहीं थाने पाये हैं । (१०) बसें दो प्रकार के हैं --गुरु घर लघु यद्दी छन्दशाख के मूला- धार हैं। ये ही उस्रकी कुजी हैं पिंगल में इन गुरु भर लघुब्सों से ही सब काय सिद्ध होते हैं । इन्हीं के संयोग से गण बनते हैं । इनका वर्सन झागे है | दौघाक्षर को गुरु कहते हैं इसका चिन्द है (5) झर हस्वात्तर को लघु कहते हें हैं इसका चिन्ह है (1) मात्रिक तथा चर्खिक गस इस प्रकार हैं 2 डा ड। द। ण गण मत्ता । छे पच चौ त्रय दुइ कल यत्ता ॥। बणु तीन बर्शिक सशु जानों । मय रस तज भन झाठ प्रमानों ॥। लि सतवनालकामलललववलललसिललवलिनविनिक




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