जैन बौद्ध तत्वज्ञान | Jain Bauddha Tatvgyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
55.44 MB
कुल पष्ठ :
256
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)थे
उपाठीसे भगवान बुद्ध कहते हैं-“दीघकाउसे तुम्हारा कुछ
निगंठोंके लिये प्याउकी तरह रहा है । उनके जानेपर पिंड नहीं देना
चाहिये यह मत समझना 1” “भगवान तो मुझे निगंठोंको भी दान
करनेको कहते हैं |?” “' दीघतपसवी निगंठ जहां निगंठ नाथपुत्त थे
वहां गया ।
(९) प० ४१५६ अभयराजकुमार सुत्त (म० नि० ९: है: ८).
अभयराजकुमार जहां निगंठ नातपुत्त थे वहां गया |
(१०) प्र ४९९ सामजल़फलंसुत्त (दी० नि० १: १: २)
किसीने कहा-*' निभेध नात पुत्त *”
(११) प० ४८(-सामगामसुत्त (ब० नि० ३: है: ४)
; (विक्रम प्रुव» ४२८ )-एक समय भगवान झाक्यदेशमें साम-
|. गाममें विहार काते थे । उस सयय निगंठनाथ-पुत्त ( जैन तीर्थंकर
||... महावीर ) अभी अभी पावासे निर्वाण हुये ।
न नोट-इस समय गौतमबुद्धकी आायु (५० ९जन्मबुद्ध-४ २८0७७.
वषकी थी, उनकी पूर्ण आयु ८० वर्षकी थी।|
(२) प्र० ५२०-महापरिनिव्वाणसुत्त (दी ० नि० २:३: १६)
' प्रसिद्ध यशस्वी तीर्थंकर निगंठ नातपुत्त ”
(१३) मज्झिपनिकाय चूल सारोपम सुत्त (३०)
“ये इमे भो गोतम समण बाझणासंधिनो गणाचरिया ज्ञाता यस-
:... स्सिनो तित्थकरा साघुसम्मता बहुजनस्स सेथ्यचिदे-निगंढो न [थपुत्तो ।
...... (१४) दीपेनिकाय त० २९ पसादिक सुचंत--
ः “एक समये भगवा सकेंसु विदरति-तेन खोपन समयेन निगंठो
. नाथपुत्तो पावायं अघुना कालकतों होति (श्रीमहावीरका निर्वाण हुआ)...
(१९) मज्सिपनिकाय महासचिकसुत्त (३६)...
.. सचिकर्निग्गेथपुत्तो महावने उपसंकामि ।
कक
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