जैन बौद्ध तत्वज्ञान | Jain Bauddha Tatvgyan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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थे उपाठीसे भगवान बुद्ध कहते हैं-“दीघकाउसे तुम्हारा कुछ निगंठोंके लिये प्याउकी तरह रहा है । उनके जानेपर पिंड नहीं देना चाहिये यह मत समझना 1” “भगवान तो मुझे निगंठोंको भी दान करनेको कहते हैं |?” “' दीघतपसवी निगंठ जहां निगंठ नाथपुत्त थे वहां गया । (९) प० ४१५६ अभयराजकुमार सुत्त (म० नि० ९: है: ८). अभयराजकुमार जहां निगंठ नातपुत्त थे वहां गया | (१०) प्र ४९९ सामजल़फलंसुत्त (दी० नि० १: १: २) किसीने कहा-*' निभेध नात पुत्त *” (११) प० ४८(-सामगामसुत्त (ब० नि० ३: है: ४) ; (विक्रम प्रुव» ४२८ )-एक समय भगवान झाक्यदेशमें साम- |. गाममें विहार काते थे । उस सयय निगंठनाथ-पुत्त ( जैन तीर्थंकर ||... महावीर ) अभी अभी पावासे निर्वाण हुये । न नोट-इस समय गौतमबुद्धकी आायु (५० ९जन्मबुद्ध-४ २८0७७. वषकी थी, उनकी पूर्ण आयु ८० वर्षकी थी।| (२) प्र० ५२०-महापरिनिव्वाणसुत्त (दी ० नि० २:३: १६) ' प्रसिद्ध यशस्वी तीर्थंकर निगंठ नातपुत्त ” (१३) मज्झिपनिकाय चूल सारोपम सुत्त (३०) “ये इमे भो गोतम समण बाझणासंधिनो गणाचरिया ज्ञाता यस- :... स्सिनो तित्थकरा साघुसम्मता बहुजनस्स सेथ्यचिदे-निगंढो न [थपुत्तो । ...... (१४) दीपेनिकाय त० २९ पसादिक सुचंत-- ः “एक समये भगवा सकेंसु विदरति-तेन खोपन समयेन निगंठो . नाथपुत्तो पावायं अघुना कालकतों होति (श्रीमहावीरका निर्वाण हुआ)... (१९) मज्सिपनिकाय महासचिकसुत्त (३६)... .. सचिकर्निग्गेथपुत्तो महावने उपसंकामि । कक




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