आवाज़ सुरीली कैसे करें | Awaz Surili Kaise Kare

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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स्वर का महत्व लन्ड ऑल समुष्य को प्रकृति द्वारा प्राप्त निधियों सें वाणी प्रमुख है त चासी विचासें का वाहन और मनुष्य के समाजीकरण को आगे चढ़ाने का प्रमुख साधन है । ब्याज हम वाणी के इतने अभ्यस्त हो गये हैं कि हम माय ही घाणी की महत्ता को भूल जाते हैं । इसके अलावा याज मनुष्य को ऐसे साधन भी उपलब्ध हैं जो चाखी को स्थान प्रदण कर सकते हैं । इनमें सबसे प्रमुख है लिखित भाषा 1 आज के युग सें जब लिखित भाषा ने वाणी की महत्ता को छीन जिया है हमें वाणी के महत्व को समभने में कठिनाई होना स्वाभाविक है । ऋ्ाज यह सम्भव हो गया है कि एक गूगा मनुष्य भी लेखनी द्वारा श्रपने विचारों को व्यक्त कर सके किन्तु मानव इतिहास में एक ऐसा भी युग था जब मनुष्य के पास वाणी न थी। चदद अपने चाएं ओर बिखरी हुई प्रकृति की ही भांति मूक था श्र अपने विचारों संवेदनाओं तथा भावनाओं को शरमिव्यक्ति देने में असमयथे । सन उस युग की कत्पना कीजिये जब मनुष्य के पास स्वर न था और फलस्परूप भापा भी न थी उसके चारों ोर फैले झन्य प्राणी झपनी कुछ भावनाओं-जैसे भय कामेच्छा हपे भूख आदि को कंड द्वारा भिन्न प्रकार के स्वर निकाल कर व्यक्त कर सकते थे किम्तु मानव माणी मूक था।




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