ज्योतिष सर्व संग्रह [चारों प्रकरण] | Jyotish Sarva Sangrah [Charon Prakaran]

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Jyotish Sarva Sangrah [Charon Prakaran] by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कोण थ्० (३३ थ० भा४, ः उत्तरापादे सिंह । उत्तराणां त्रय:पादा इस्तचित्राद्ध' कन्या । चित्राद्ध स्वांतिविसाखा पादत्रय तुखो । विशाखा पादमेकं भ्नुराधा ज्येष्टान्त वृश्चिक । मूलं च पूर्वाषाद़ उत्तरापोदे धन । उत्तराणों त्रयः पादाः श्रवण धनिष्टा मकर । धनिष्ठाद्ध शतिभिषा पूर्वा भाद्रपदपादत्रय' कुम्भ: । पर्वाभाद्रपद फादमेक' उत्तरा भाद्रपद रेवती मीन ॥। टीका --अश्विनी के ४ चरण भरणी के ४ चरण क्रतिकों का १ पेरण तक मेष के चन्द्रमा रहेंगे । कृतिका के ३ रोदिड़ी के ४ ममशिरा के रे चरण तक बूष के चन्द्रमा रहेंगे ॥ स्रूगशिर के २ आा६्रा के ४ पुनबेसु के ३ चरण तक मिथुन के चन्द्रमा रहते हैं ॥ पुनर्वेसु का * पुष्य के ४ श्लेषा के ; तक कहे के चन्द्रमा रहेंगे ॥। मघां के ३ पूर्वोफाल्गुनो के ६ उत्तरा फारणुन के एक चरण तक सिंह के चंद्रमा । उत्तरा फान्युली , हस्त के * चित्रा को २ तक कन्या के चन्द्रमा ॥ चित्रा « सवा विशोखा तक तुला के चन्द्रमा ॥ बिद * अनु० « उसे... तक अश्चिक के चन्द्रमा । भू« ४ छू० पा० « उ० पा० १ तक घन के चनडमा | उ० पा० रे अं ४ थे उ० पां० तक मकर के चंद्रमा ! घ० २. शा, ; पू० भाद्रर १ तक झम्भ के चन्द्र 4 पूठ ना, £ उठ भाण ४ रेठ ४ पके मीब के चन्द्रमा रहेंग । इस क्र से सबके जान ले' । जब किसी लढक का जन्म हो उस वक्त, लेन देखना कि इस वक्त बया हैं ॥ पदले तो देखे कि इस महीने में सुर्य काहे का है ॥। जिस रास का सय हो उससे सातवीं राशी पर




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