वीर विनोद | Veer Vinod
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17.97 MB
कुल पष्ठ :
248
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about महाराणा राजसिंह - Maharana Raj Singh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)महाराणा राजसिंह- १. ] वीरविनोद. चित्तोड़के नुक्सानसे विरोधन-93 ३ ही पुर लिवर ब्ल््ज््य्््रेसर ही शेसी बातोंने बजीरसे तो मेल न होने दिया परन्तु चन्द्रभान मुन्शीकी मारिफत शाहजादे दाराशिकोहने अपने दीवान दौख अअब्दुठ करीमको महाराणाके बड़े कुंवर सल्तानसिंहके ठेनेके लिये सेजदिया था सहाराणाने भी इस मोकेपर नर्मी इस्तियार की. और बेदठाके राव रामचन्द चहुवान वगैरह आठ बड़े सदोरोंको कुंवर सुल्तानसिंहके साथ बादशाहके पास रवाना | किया उस समय कुंवरकी उस्र पांच या ६ वर्षकी थी. मुन्शी चन्द्रमान व दीवान दौख अब्दुठकरीमके साथ कुंवर सुल्तानसिंह | माठपुरे सें विक्रमी १७११ मागंशीर्ष कृष्ण ७ [ हिजी १०६५ ता० २१ सुहर्रम इ० १६५४ ता० २ डिसेम्बर | को बादशाह शाहजहांके पास पहुंचे. इस वक्त तक सहाराणाके कुंवरका नाम मुकरर नहीं हुआ था इस छिये वादशाहने सुहागसिंह (१ ) नाम रक्खा सर सोतियोंका सरपेच जड़ाऊ तुर्रा मोतियोंका बालाबन्द जड़ाऊ उबसी दी और उसके साथियों में से राव रामचन्द चहुवान वगरह आठ आआदमियों को घोड़ा ओर खिलअत बखूजा दूसरे दिन च्अथोत् इसी संवत् के मागेशीप कृष्ण ८ [ हि ता० २२ मुहं ई० ता० ३ डिसिस्बर ] को साढुछाखां फोज समेत चित्तौड़से बादशाही खिद्मतमें हाजिर हुआ और मार्गशी्प कृष्ण १२ [ हि ता० २६ सुहरस हू० ता० ७ सिसेम्बर | के दिन कुंवर को बादशाहने घोड़ा और हाथी देकर उद्यपुरकी रुख्सत दी कुंवर उदयपुर आये और बादशाह आगरे पहुंचे इस मौके पर दबना ही न । टन दम भ्छ जन न नानी नाथ स्ल् यान 225 ्यम2222 2.22. परम ननमनयरणन्भण मा ये म्सयया - यमनिनाण प्यजटघसरसिरिस्ययय्य मय से जज यो जज सडक न उरूसूसूस्ीेडेऊऊ. न गा कु 5 ट .. दा कर ठीक जानकर महाराणा राजसिंह चुप हो रहे विक्रमी १७१३४ ज्येष्ठ कृष्ण १० [ हि० १०६६ ता० २४ रजब ईइ० १६५६ ता० १९ मद | को खुवासण सुन्दरकी अजे पर महाराणा राजसिहने गंघर्व ब्राह्मण सोहनको रंगीली ग्रास रामापण दिया- (शेष संग्रह नम्बर १ )) चित्तोड में इमारतका नुक्सान अर मुल्क वीरान होनेके सबब प्रजाको भी बहुत दुःख पहुंचा इस सबब से महाराणाको जियादा गुस्सा आया और | बखेडा करना विचार कर जंगी फोज तथय्यार करनेका इरादा किया... शाहजहां बाद इ एनकाण (१ ) सुहागासहका मत्ठब मालिकका उझभचिन्तक अर्थात् बादशाही भक्त है जैसे कि सुहाग- वती स्त्री यह बात महाराणा राजसिंहको नापसन्द हुई और पीछे अपने बेटेका नाम सुल्तानसिंह रक्खा जाहिरमें तो यह बात कि सुल्तानका किया हुआ सिंह लेकिन इसका दूसरा मत्लव यह था कि 1 दूँ सुल्तान पर सिंहकी सुवाफिक जुबरदस्त रद्द नि जाट यटडनननययासनययडनननटननणणणणयाायाापपटसलटाण थपपटण गे श्र 2552. 5552 25552555525552555555न्स्स्सट5र८2.2.2घघ2 5नयेनट 2. 52 22 222... 2. ...ननननसरीनान दि न 4 ै पद पर श्र रा थे
User Reviews
No Reviews | Add Yours...