करुण तरगिनी | Karun Tarangini

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Karun Tarangini by गांगेय नरोत्तम शास्त्री -Ganaey Narottam Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ऐ | नाजोंसे भरी हुई हैं। भाषा भी सरल और शुद्ध है हिन्दी साहित्यमें अभी बहुत कमी है। शास्त्रीजी यदि उसे पू करनेके छिये हमें संस्कृत साहित्यके भाण्डारका परिचय देनेके लिये हिन्दीमें एक ग्रन्थ दिख दें तो उससे हिन्दीका बड़ा उपकार हो सकता है। इस पर दो मत नहीं हो सकते । माशा दै शास्त्रोजीकी इस करुण तरड्िंणी का अच्छा भादर होगा । --अस्बिकाप्रसादू वाजपेयी डहिन्दी-संसारके खनामधन्थ महाकवि संस्कृति और खघमंके चलते-फिरते प्रतीक मड्लाप्रसाद पारितो षिकके विजेता श्रीमान्‌ बाबू मेधिलीशरण गुप्तजी की सम्मति-- सकता श्री गांगेय नरोत्तम झास्त्रीजीकी करुण-तरड्िणी की कुछ रचनाएं मापके हो मुखसे सुननेका सुअवसर मुझे प्राप्त हुआ । जिस तन्मयतासे आपने अपने पद पढ़े उससे में बहुत प्रभावित हुआ । हिन्दीके पाठक भी मापकी रचनाएं पढ़कर वह्दी तन्मयता प्राप्त करे यद्दी मेरी कामना है। आशा है करुण तरड्िंगी प्रचार यायेगी । -मेथिछी शरण शुपर




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